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रणबाकुरों की भूमि है उत्तराखंड, कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे यहां के 75 जवान

लद्दाख के गलवन घाटी में घायल होने से शहीद हुए बिशन सिंह की शहादत को दूेवभमि कभी भूल नहीं सकेगी। वह शहादत देने वाले और जवानों की तरह यहां के युवाओं के लिए प्रेरणा बनेंगे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 07:38 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 07:38 AM (IST)
रणबाकुरों की भूमि है उत्तराखंड, कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे यहां के 75 जवान
रणबाकुरों की भूमि है उत्तराखंड, कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे यहां के 75 जवान

हल्द्वानी, जेएनएन : लद्दाख के गलवन घाटी में घायल होने से शहीद हुए बिशन सिंह की शहादत को दूेवभमि कभी भूल नहीं सकेगी। वह शहादत देने वाले और जवानों की तरह यहां के युवाओं के लिए प्रेरणा बनेंगे। उत्तराखंड को यूं ही रणबाकुरों की भूमि नहीं कहा जाता है। देश को सुरक्षित रखने के लिए यहां के सैकड़ों जवानों ने सीमा पर अपने प्राणों की आहूति दी है। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। जबकि 233 सैनिक घायल हुए थे। पाकिस्तान संग हुई इस जंग में नैनीताल जिले के पांच जवानों ने शहादत दी तो तीन लोग गोली लगने से दिव्यांग हो गए थे।

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कुमाऊं में 75 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिक व वीरनारियां

मेजर आरएस अधिकारी, लांस नायक चंदन सिंह, लांस नायक राम प्रसाद, मोहन नाथ गोस्वामी, खेम चंद्र डोर्बी समेत नैनीताल जिले में सौ से अधिक नाम ऐसे हैं जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। हवलदार बिशन सिंह का नाम भी अब इस वीरगाथा से जुड़ चुका है। उत्तराखंड समेत पूरा देश उन्हें अब एक अमर शहीद के तौर पर याद रखेगा। कुमाऊं में पूर्व सैनिक और वीरनारियों की संख्या 75 हजार से अधिक है। सिर्फ नैनीताल जिले में 10389 सेवानिवृत्त सैनिक और 2726 वीरनारियां हैं। 65, 71 और कारगिल के युद्ध में भी नैनीताल जिले के जवानों की अहम भूमिका थी। जिलेवार सभी सैनिक कल्याण बोर्ड दफ्तरों में शहीदों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है।

शहीद पार्क में कैंडल जलाकर दी श्रद्धांजलि

गलवन घाटी में शहीद हुए हवलदार बिशन सिंह व देहरादून निवासी राजेंद्र नेगी की शहादत पर शहीद पार्क में कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान दो मिनट का मौन भी धारण किया गया। कांग्रेस जिला महामंत्री हेमंत साहू ने कहा कि उत्तराखंड मूल के इन दो जवानों की शहादत को देश कभी भुला नहीं सकता। सीमा की रक्षा में इन्होंने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। श्रद्धांजलि के बाद लोगों ने शहीर अमर रहे और भारत माता के जयकारे भी लगाए। इस दौरान दीपा खत्री, नंदिनी खत्री, पकंज कश्यप, शारिक खान, फरमान अली, हिमांशु दिवाकर, सचिन राठौर, गोविंद मिस्त्री, मो. हनीफ मौजूद रहे।


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