Resignation of Uttarakhand CM : जुबान फिसलते-फिसलते अब खुद फिसल गए तीरथ, सात बयानों ने पार्टी को किया असहज
Resignation of Uttarakhand CM 15 दिन सत्ता में रहते हुए सात बार उनकी जुबान ऐसे फिसली की वह खुद ही सत्ता से फिसल गए। वैसे तो उनकी सादगी के बहुत किस्से हैं। जिसकी तारीफ भी होती रहती है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Resignation of Uttarakhand CM : भाजपा के वरिष्ठ नेता तीरथ सिंह रावत को जिस उम्मीद से राज्य की कमान सौंपी गई थी। शायद, वह केंद्रीय नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके। कभी अपने विवादित बयानों को लेकर तो कभी अन्य निर्णयों को लेकर। 115 दिन सत्ता में रहते हुए सात बार उनकी जुबान ऐसे फिसली की, वह खुद ही सत्ता से फिसल गए।
वैसे तो उनकी सादगी के बहुत किस्से हैं। जिसकी तारीफ भी होती रहती है। जो भी उनके मिलने जाता था, वह सहज ही उपलब्ध रहते थे, लेकिन मंचों में भाषण देते समय उनकी जब कब फिसल जाती थी। इसका अंदाजा उन्हें भी नहीं हो पाता था। इन्हीं अटपटे बयानों को लेकर पार्टी ही असहज हो जाती थी।
ये हैं सात विवादित बयान
1- महिला की फटी जींस को देखकर हैरानी होती है...इससे समाज में क्या संदेश जाएगा?
2- कोरोना के चरम पर होने के दौरान कहा था, कुंभ में सब लोग बेरोकटोक आ सकेंगे।
3- हमें अमेरिका ने गुलाम बनाया।
4- समय पर आपने बच्चे तो पैदा किए नहीं, जिनके 20 हैं, उन्हेंं ज्यादा राशन तो मिलेगा ही।
5- कुंभ मेला बनारस में भी होता है।
6- आजादी के बाद पहली बार चीनी मुफ्त मिलेगी
7 - उत्तराखंड के युवाओं को ऑक्सीजन मिल रही है।
सीएम के इस्तीफे से भाजपा में छाई खामोशी
हल्द्वानी : उत्तराखंड एक ओर मुख्यमंत्री बदलने की सियासत। दूसरा, नए मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलें। जब देहरादून से दिल्ली तक यही चर्चा थी, तो कुमाऊं में भी भाजपा में अजीब सी खामोशी छा गई। किसी ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी तो अधिकांश ने चुप्पी ही साध ली।
भाजपा के वरिष्ठ नेता, छह बार के विधायक और वर्तमान में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले बंशीधर भगत का कहना था कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय सर्वमान्य है। वहीं समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य का फोन नंबर स्विच ऑफ था। नैनीताल सीट से सांसद अजय भट्ट ने कहा कि जब कोई निर्णय होगा, तो फिर बात की जाएगी। फिलहाल राज्य में सब ठीक है। इसके अलावा कई अन्य पदाधिकारियों ने भी किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी। सब बचते नजर आए। वहीं, हर बात पर इंटरनेट मीडिया में प्रतिक्रिया देने और माहौल बनाने वाले तमाम भाजपा नेता भी चुपचाप सियासत का बदलता खेल देखते रहे। आश्चर्य की बात यह थी कि राज्य के सबसे बड़े सियासी घटनाक्रम पर भी ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर का नेता कुछ भी टिप्पणी करने से बचता रहा। जबकि, इंटरनेट मीडिया पर भाजपा के इस तरह की सियासत को लेकर लगातार तीखी टिप्पणियों की बौछार होती रही। इसके बावजूद सन्नाटा पसरा रहा।