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Salt By Election : चुनाव के समय ही होते रहे वादे, बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा आज तक नहीं मिली

Salt By Election बेशक सल्ट क्षेत्र का रुतबा उत्तर प्रदेश के दौर से ही बना हुआ है। राज्य व केंद्रीय स्तर के बड़े नेताओं के कदम यहां पड़ते रहे हैं। मगर खासी अहमियत मिलने के बावजूद सल्ट के साथ एक दुर्भाग्य भी जुड़ा रहा। वह है क्षेत्र का पिछड़ापन।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 08:07 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 08:07 AM (IST)
Salt By Election : चुनाव के समय ही होते रहे वादे, बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा आज तक नहीं मिली
Salt By Election : चुनाव के समय ही होते रहे वादे, बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा आज तक नहीं मिली

अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता : Salt By Election : बेशक सल्ट क्षेत्र का रुतबा उत्तर प्रदेश के दौर से ही बना हुआ है। राज्य व केंद्रीय स्तर के बड़े नेताओं के कदम यहां पड़ते रहे हैं। मगर खासी अहमियत मिलने के बावजूद सल्ट के साथ एक दुर्भाग्य भी जुड़ा रहा। वह है क्षेत्र का पिछड़ापन। सरकारों व उनके नुमाइंदों ने इसे सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल तो किया मगर धरातल पर विकास के लिए स्पष्ट सोच या योजना के क्रियान्वयन में वह चुस्ती नहीं दिखाई जो ऐन चुनाव के वक्त नजर आती है। नतीजतन, जटिल भौगोलिक परिस्थितियों से घिरी सल्ट विस क्षेत्र में सड़क ही नहीं स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल आदि व्यवस्थाएं बदहाल हैं। 

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ब्रितानी हुकूमत की चूलें हिलाने वाले क्रांतिकारियों की धरती सल्ट के देवायल में गोरों ने 1930 में अस्पताल की नींव रखी थी। आजादी के कुछ वर्षों तक चिकित्सालय का लाभ दूरदराज के ग्रामीणों को मिला भी। 2009 में उच्चीकरण कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया। 2014 में 30 बेड का नया भवन बना। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरिदत्त वैद्य का नाम दिया। मगर अफसोस कि अब तक मानक के तहत चिकित्सक नसीब नहीं हो सके। यहां नौ चिकित्सकों के स्थान पर छह ही तैनात हैं। सर्जन के साथ ही बाल व महिला रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। 

खुद ही नाखुश है खुशियों की सवारी 

रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट व तकनीशियन के पद अरसे से रिक्त हैं। एक्सरे व अल्ट्रासाउंड मशीन व्यवस्था पर सवाल उठा रही हैं। प्रसव बाद प्रसूता को घर तक छोडऩे वाली 'खुशियों की सवारी' वैन है पर चालक नहीं।सीएचसी देवायल में पेयजल कनेक्शन तक नहीं है। तीमारदार पानी ले जाते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि सख्त जरूरत पर आसपास के लोगों से पानी लेकर काम चलाया जाता है। 

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