2005 के बाद से भीमताल झील के पानी की शुद्धता को लेकर नहीं हुआ कोई परीक्षण
वर्ष 2005 के बाद से भीमताल झील में कोई विस्तृत शोध नहीं होने से और 2005 के शोध के आधार पर दिये गये सुझावों पर कोई अमल नहीं होने से आने वाले समय में झील का पानी पीने योग्य नहीं रह जाएगा।
जागरण संवाददाता, भीमताल : भीमताल झील वैसे तो शांत दिखाई देती है और दूर से अलग अलग रंग से उसके दीदार होते हैं पर वास्तव में झील गंदी होते जा रही है। टनों गंदगी झील मे समा जाती है और उसका पानी प्रदूषित करती है। अब झील के पानी की गुणवत्ता को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। कई वर्षों से भीमताल में झील में पानी की गुणवत्ता पर कोई शोध नहीं होने से व्यापारियों समेत अन्य संगठनों में रोष है। वर्ष 2005 के बाद से भीमताल झील में कोई विस्तृत शोध नहीं होने से और 2005 के शोध के आधार पर दिये गये सुझावों पर कोई अमल नहीं होने से आने वाले समय में झील का पानी पीने योग्य नहीं रह जाएगा।
भीमताल झील का पानी धीरे-धीरे प्रदूषित होते जा रहा है। भीमताल झील के पानी की इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी आइएमआइ के निर्धारित बिन्दु से अधिक पहुंच गई है, जो पर्यावरण की दृष्टि से चिंताजनक है। यह स्थिति तब की है जब गोविंद बल्लभ पंत पर्यावरण एवं विकास संस्थान कटारमल कोसी ने वर्ष 2005 में अपना शोध झील विकास प्राधिकरण की योजना भीमताल झील परिक्षेत्र का जनसहभागिता के आधार पर संरक्षण के अंतर्गत भौतिक रासायनिक गुणवत्ता के परीक्षण के लिये किया था। शोध के भीमेश्वर मंदिर, मध्य तालाब, कैंचुला देवी मल्लीताल टैक्सी स्टैंड, कुंआताल, नाला व भीमताल झील के संगम से पानी सैंपल लिये गये। भीमेश्वर मंदिर वाले सैंपल में इलैक्ट्रिकल कंडक्टिविटी 301 प्रति सेमी थी। निर्धारित मानक में यह मात्रा अधिकतम 300 होनी चाहिये। वैज्ञानिकों की माने तो कंडक्टिविटी बढऩे का कारण झील में कूड़ा करकट तथा मल आदि घुलनशील पदार्थों का बढऩा है।
इसी शोध के तहत बाद में पता चला कि कुंआताल नाले तथा झील के संगम वाले स्थान के सैंपल में नाइट्रेट व क्लोराइड की मात्रा अन्य स्थानों के सैंपल से अधिक हैं। ऐसे रसायनों की मात्रा झील के लिये आने वाले समय में घातक हैं ऐसा रिपोर्ट में कई वर्षों पूर्व उल्लेखित कर दिया गया था। शोध के तहत यह सैंपल जाड़े में लिये गये थे। बरसात व गर्मियों में घुले पदार्थ सडऩे लगते हैं तो यह मात्रा निश्चित तौर पर बढ़ेगी। यह शोध कई वर्ष पूर्व किया गया था। उसके बाद से ना कोई शोध किया गया है और ना ही वर्षों पूर्व दिये गये सुझावों पर प्रशासन और विभाग ने कोई अमल किया। अब वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट के अंदेशे से ही पर्यावरणविद चिंतित होने लगे हैं।
जल संस्थान के अवर अभियंता का कहना है कि पानी की सप्लाई बोरिंग से की जाती है। बोरिंग के पानी की नियमित रूप से जांच की जाती है। विभाग के द्वारा झील के पानी की जांच नहीं कराई जाती। कभी आवश्यकता नहीं पड़ी। विधायक राम सिंह कैड़ा ने बताया कि वास्तव में भीमताल झील की स्थिति खराब है। सदन में मेरे द्वारा जब झील की सफाई का मसला उठाया गया था। तब सरकार ने झील का विस्तृत अध्ययन रूडक़ी के वैज्ञानिकों के द्वारा कराये जाने की बात कही गई थी। उसके बाद कोरोना का संक्रमण पूरे विश्व में फैल गया। शीघ्र ही वैज्ञानिकों का दल भीमताल झील का अध्ययन करने आने वाला है। ऐसी जानकारी मुझे दी गई है।
विधायक राम सिंह कैड़ा