रुद्रप्रयाग में मदमहेश्वर मंदिर के बुग्याल में बाघिन दिखी थी या बाघ, रहस्य बरकरार
26 जून 2019 सुबह 2.38 मिनट। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मदमहेश्वर मंदिर की घटी यानी बुग्याल क्षेत्र के जंगल में लगे कैमरों ने जब बाघ को कैद किया तो वन विभाग भी चौक पड़ा। क्योंकि यह उसका मूल आशियाना नहीं था।
हल्द्वानी, जेएनएन : 26 जून 2019 सुबह 2.38 मिनट। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मदमहेश्वर मंदिर की घटी यानी बुग्याल क्षेत्र के जंगल में लगे कैमरों ने जब बाघ को कैद किया तो वन विभाग भी चौक पड़ा। क्योंकि, यह उसका मूल आशियाना नहीं था। आमतौर पर माना जाता है कि जंगल का राजा 2000 मीटर से ऊपर नजर नहीं आता। हालांकि, जुलाई 2016 में पिथौरागढ़ के अस्कोट में यह मिथक टूटा था। तब बाघ को 3100 मीटर पर देखा गया था। मगर इस बार किस्सा बुग्याल से जुड़ा था तो वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमी भी हैरानी के साथ खुश भी नजर आए।
तुरंत कैमरों की संख्या बढ़ा उसकी लोकेशन ढूंढने का प्रयास किया गया। सबसे बड़ा सवाल यह था कि वो बाघ था या बाघिन। मगर एक साल चार माह बाद भी रहस्य बरकरार रहा। क्योंकि, वो दोबारा नजर नहीं आ सका। वन विभाग की टीम कई दिनों तक पैरों के निशान तलाशती रही। ताकि लिंग का पता चल सके। मगर वो बाघ या बाघिन जो भी था। अब भी रहस्य बना हुआ है। बता दें कि बुग्याल पहाड़ में घास के मैदान को कहते हैं।
यहां हाथी भी पहाड़ चढ़ चुके
हाथी यानी विशालकाय शरीर और मदमस्त चाल। सामने आकर अगर चिंघाडऩे लगे तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाए। गजराज के बारे में माना जाता वो आमतौर पर 600 मीटर की ऊंचाई तक ही नजर आता है। मगर पिछली गणना के दौरान उत्तराखंड के हाथियों ने यह मिथक भी तोड़ दिया। नैनीताल से पहले मंगोली, ज्योलीकोट, अल्मोड़ा डिवीजन की मोहान रेंज और मसूरी डिवीजन पर्वतीय हिस्से में भी हाथी चढ़ गया। इन क्षेत्रों की अधिकतम ऊंचाई 1500 मीटर तक थी।