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एनजीटी ने दिखाई सख्ती तो सीईटीपी से कनेक्शन मांगने लगीं कंपनियां NAINITAL NEWS

कंपनियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को स्वच्छ बनाने के लिए लगाई गई सीईटीपी अब एनजीटी की सख्ती के बाद प्रभाव में आने जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 09:05 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 09:05 AM (IST)
एनजीटी ने दिखाई सख्ती तो सीईटीपी से कनेक्शन मांगने लगीं कंपनियां NAINITAL NEWS

रुद्रपुर, जेएनएन : कंपनियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को स्वच्छ बनाने के लिए लगाई गई सीईटीपी अब एनजीटी की सख्ती के बाद प्रभाव में आने जा रही है। अभी तक सिडकुल की करीब 200 से ज्यादा कंपनियों ने इसका कनेक्शन नहीं लिया था और धड़ल्ले से चल रही थीं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जब ऐसी कंपनियों के लाइसेंस रद करने के आदेश दे दिए हैं तब जाकर ईटीपी प्लांट चलाने वाली कंपनियां भी अब सीईटीपी से कनेक्शन मांग रही हैं। 

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एनजीटी के अनुसार पंतनगर स्थित सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) में पानी साफ करने की क्षमता चार एमएलडी यानी चार हजार किलोलीटर प्रतिदिन की है। इसके बाद भी मात्र सवा एमएलडी केमिकल युक्त गंदा पानी ही सीईटीपी को मिल रहा है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसे संवेदनशील मान एनजीटी ने आदेश में कहा है कि सिडकुल पंतनगर की सभी 520 कंपनियां सीईटीपी में अपना पानी भेजें। एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि जलशोधक कुंड में पानी भेजना आवश्यक है, जिससे पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। ऐसा न करने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद कर दिए जाएं। टाटा वेंडर्स के एक अधिकारी ने बताया कि एनजीटी की सख्ती देख सीईटीपी से कनेक्शन मांगा गया है, जिसमें प्रक्रिया चल रही है। एनजीटी के आदेश के बाद दर्जनों कंपनियां सीईटीपी से जुड़ चुकी हैं। जल शोधन प्लांट के प्रॉसेस मैनेजर रमन ने बताया कि सीईटीपी सितारगंज में करीब 90 फीसद कंपनियों का पानी सीईटीपी में भेजा जा रहा है। जबकि सिडकुल पंतनगर में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत ही है।  

एनजीटी के निर्देशों का पालन किया जा रहा है 

पारितोष वर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक, सिडकुल, रुद्रपुर ने बताया कि सीईटीपी में जल शोधन के निर्देश कंपनियों को दिए गए हैं। एनजीटी के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। कई क्षेत्रों में पाइपलाइन की समस्या है, जिसके लिए देहरादून मुख्यालय में पाइपलाइन का प्रोजेक्ट भेजा गया है। 


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