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परंपरागत ज्ञान व खानपान का करा लीजिए पेटेंट, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का है आफर

पर्वतीय व उच्च हिमालयी क्षेत्र के विशिष्ट समूह के पारंपरिक ज्ञान या खानपान का पेटेंट कराने के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राज्य सरकार और संस्थाओं को खुला ऑफर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 12:16 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 10:52 AM (IST)
परंपरागत ज्ञान व खानपान का करा लीजिए पेटेंट, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का है आफर
परंपरागत ज्ञान व खानपान का करा लीजिए पेटेंट, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का है आफर

नैनीताल, किशोर जोशी : उत्तराखंड के पर्वतीय व उच्च हिमालयी क्षेत्र के विशिष्ट समूह के पारंपरिक ज्ञान या खानपान का पेटेंट कराने के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राज्य सरकार और संस्थाओं को खुला ऑफर दिया है। स्थानीय स्तर पर किए गए इनोवेशन को भी बौद्धिक संपदा कानून के तहत रजिस्टर्ड किया जा सकता है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स इसके लिए राष्ट्रीय अभियान चला रहा है। यह अभियान कलस्टर आधारित कार्य करने वाली संस्थाओं व विश्वविद्यालयों तक पहुंचाया जा रहा है। प्रयास है कि निचले स्तर तक बौद्धिक संपदा अधिकार कानून की जानकारी पहुंचे और उपभोक्ता भ्रमित ना हो।
यह जानकारी पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की सचिव कंचन जुत्शी ने दी। वह शुक्रवार को हरमिटेज भवन में यूजीसी, मानव संसाधन विकास केंद्र व पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित कार्यशाला में भाग लेने पहुंची थी। कंचन जुत्शी ने कहा कि देश में इनोवेशन, ट्रेड का पंजीकरण बौद्धिक संपदा कानून के तहत किया जाना चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए इसका महत्व अधिक बढ़ गया है। कंपनी या समूह को जियोग्राफिक्स इंडिकेशन में पंजीकरण कराना चाहिए। पहाड़ में खानपान के यूनिक आइटम अथवा परंपरागत ज्ञान का पेटेंट कराना चाहिए। इसके लिए सरकार ने बौद्धिक संपदा पंजीकरण सेल बनाया है। उन्होंने बताया कि सेलीब्रेटीज यदि विज्ञापनों के माध्यम से किसी उत्पाद के बारे में भ्रामक जानकारी प्रसारित करते हैं तो इस कानून में उनके खिलाफ शिकायत मिलने पर कार्रवाई का प्रावधान है। विवि की प्रयोगशाला के इनोवेशन व शोध के पेटेंट के लिए भी नीति बनाई बनाई गई है। विवि को इंडस्ट्री के साथ कनेक्ट किया जाय, यह कोशिश की जा रही है। उन्होंने उच्च हिमालयी क्षेत्र की महिलाओं व महिला समूहों द्वारा तैयार उत्पादों के पेटेंट का भी ऑफर देते हुए कहा कि इससे उन्हें व्यापारिक व कानूनी दोनों दृष्टि से लाभ होगा।  उनके हितों का भी संरक्षण हो सकेगा। सरकार का रवैया भी बेहद सहयोगात्मक है। विवि के शोध निदेशक प्रो राजीव उपाध्याय ने कहा कि विवि को भारत सरकार की नीति के अनुसार नीति लागू किया जाना आवश्यक है। 

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दो लाख हैं ट्रेड मार्क
ऑफिस ऑफ कंट्रोल जनरल के सुशांत दास ने कहा कि देश में फिलहाल करीब दो लाख ट्रेड मार्क, दस हजार डिजाइन, 45 हजार पंजीकरण बौद्धिक संपदा कानून के तहत पंजीकृत हैं। जोड़ा कि जागरूकता बढऩे से इसमें और बढ़ोतरी होगी।


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