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शोध बताएगा, पहाड़ी से हाईवे पर क्यों गिर रहे पत्थर NAINITAL NEWS

अल्मोड़ा हाईवे पर कैंची धाम से आगे पाडली की पहाडिय़ों से पत्थर गिरने की वजह रिसर्च से पता चलेगी। भूगर्भीय वैज्ञानिकों से चार किमी के इस एरिया का सर्वे कराया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 10:55 AM (IST)
शोध बताएगा, पहाड़ी से हाईवे पर क्यों गिर रहे पत्थर NAINITAL NEWS

गोविंद बिष्‍ट, हल्‍द्वानी : अल्मोड़ा हाईवे पर कैंची धाम से आगे पाडली की पहाडिय़ों से पत्थर गिरने की वजह रिसर्च से पता चलेगी। भूगर्भीय वैज्ञानिकों से चार किमी के इस एरिया का सर्वे कराया जाएगा। एनएच ने राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को प्रस्ताव भेजकर इसकी अनुमति मांगी है। स्वीकृति मिलने के बाद कंपनी का चयन किया जाएगा। अल्मोड़ा हाईवे पर भवाली के बाद कई जगह ऐसी हैं, जहां बरसात के दिनों में पत्थर गिरते हैं। इनकी चपेट में आकर लगातार दोपहिया व बड़े वाहनों में सवार लोग चोटिल होते हैं। वहीं कैंची धाम से आगे पाडली नामक जगह पर चार किमी तक की सड़क पर पूरे साल खतरा बना रहता है। बरसात न भी हो तो भी यहां पहाडिय़ों से लगातार पत्थर गिरते हैं। एनएच ने बोर्ड लगाकर राहगीरों को सावधान तो किया है, उसके बावजूद यहां जाम की स्थिति पैदा होती है। इसकी वजह पता लगाने के लिए एनएच ने अब पहाड़ी का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। प्रस्ताव पास होने पर वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि बिना बरसात के भी पत्थर गिरने की वजह क्या है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बचाव के उपाय तैयार किए जाएंगे। साल 2019-20 के लक्ष्य में पाडली की पहाडिय़ों का प्रस्ताव शामिल है।

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इन जगहों पर खतरा

अल्मोड़ा हाईवे पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक रहता है। लोहाली, नावली, जौरासी, काकड़ीघाट, रामगाढ़, दोपाखी, पाडली, भौर्या बैंड व भुजान के पास कनवाड़ी की पहाड़ी संवेदनशील है। बारिश के दौरान यहां छोटे पत्थर से लेकर बोल्डर गिरने तक का डर रहता है।

ग्रास ट्रीटमेंट भी कारगार

गढ़वाल एरिया में कई जगह पहाडिय़ों को काटकर सड़क चौड़ी की जा रही है। ऑल वेदर प्रोजेक्ट में इन्हें शामिल किया गया है। पहाडिय़ों में कृत्रिम घास लगाकर उसे कवर भी किया गया है। यह उपाय स्थायी नहीं, पर कुछ हद तक काम करता है।

50 से 200 मीटर खतरा जोन

एनएच अफसरों के मुताबिक, कैंची धाम से आगे चार किमी एरिया में पांच जगह ज्यादा संवेदनशील है। 50 मीटर, 90 मीटर, 150 व 200 मीटर के टुकड़ों को पत्थर गिरने के लिहाज से चिह्नित किया गया है। सुनील कुमार, ईई एनएच का कहना है कि चार किमी एरिया में पत्थर गिरने के मामले ज्यादा सामने आते हैं। लिहाजा पहाड़ी का सर्वे कर वजह का पता लगाया जाएगा। प्रस्ताव को अनुमति मिलने के बाद काम शुरू होगा।

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