निवर्तमान मेयर व 16 पार्षद चुनाव के लिए अयोग्य घोषित
नर्वाचन में झूठे शपथ पत्र दाखिल करना पड़ा महंगा।
By Edited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:17 AM (IST)
े जागरण संवाददाता, नैनीताल : देर से ही सही पर नजूल पर काबिज रुद्रपुर नगर निगम बोर्ड पर शासन की निगाह टेढ़ी हो गई। झूठे शपथ पत्र लगाकर चुनाव लड़ना निवर्तमान मेयर सोनी कोली व उनके बोर्ड के 16 पार्षदों को महंगा साबित हुआ। पांच साल बाद भाजपा शासन ने अहम निर्णय लेते हुए इन सभी के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। मेयर पांच वर्ष तक और पार्षद चार वर्ष तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सभी पर विधिक कार्रवाई के लिए भी डीएम ऊधम¨सह नगर को निर्देश दिए गए हैं। वर्ष 2013 में नगर निगम बोर्ड निर्वाचित होने के बाद नजूल पर कब्जे का मुददा जोर-शोर से उठा था। पूर्व सभासद रामबाबू का आरोप था कि निर्वाचित मेयर सोनी और उनके बोर्ड के 16 पार्षदों ने झूठे शपथ पत्र दाखिल किए हैं। शपथ पत्रों में लिखा गया है कि उनका सरकारी भूमि पर कब्जा नहीं है जबकि यह गलत है। सूचना अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने के बाद रामबाबू ने इसकी शिकायत शासन-प्रशासन से की थी। कार्रवाई न होने पर 2014 में उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। मेयर व पार्षदों के साथ ही सरकार से हाई कोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब मांगा था। कांग्रेस सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद हाई कोर्ट की फटकार के बाद शासन ने मंडलायुक्त नैनीताल से प्रकरण की जांच कराई थी। जांच में इन सभी का नजूल पर अवैध कब्जा पाया गया। जांच रिपोर्ट राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल की तो वर्ष 2016 में हाई कोर्ट ने मेयर समेत 17 पार्षदों पर सचिव शहरी विकास उत्तराखंड को तीन माह में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। शासन स्तर पर कार्रवाई के लिए नौ सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई, लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोई फैसला नहीं हो सका। इस दौरान तीन जून 2018 को नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया। रामबाबू ने दोबारा हाई कोर्ट में आवेदन किया। इस पर हाई कोर्ट ने सख्त रूख अख्यियार करते हुए उत्तराखंड शहरी विकास सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए निवर्तमान मेयर सोनी कोली व 16 पार्षदों पर कार्रवाई कर दी। सभी पार्षदों को नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख, पार्षद के पद पर पुर्ननिर्वाचन के लिए चार साल को अनर्ह यानी अयोग्य घोषित कर दिया गया है। जबकि मेयर पर पांच वर्ष के लिए रोक लगाई गई है।
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