दिव्यांग पूर्व सैनिक को 18 साल बाद मिली पेंशन
दिव्यांग पूर्व सैनिक को 18 साल तक पेंशन पाने के लिए सिस्टम से जंग लड़नी पड़ी। बैंक की गलती से 2001 में दिव्यांग की पेंशन आजीवन लागू होने के बजाय बंद हो गई।
By Edited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 04:59 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : दिव्यांग पूर्व सैनिक को 18 साल तक पेंशन पाने के लिए सिस्टम से जंग लड़नी पड़ी। बैंक की गलती से 2001 में दिव्यांग की पेंशन आजीवन लागू होने के बजाय बंद हो गई। पिछले साल जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर बीएस रौतेला के सामने ये मामला आया तो मायूस दिव्यांग को पेंशन दिलाने के लिए फिर संघर्ष शुरू हो गया। मेजर की एक साल की मेहनत से आखिरकार 18 साल बाद दिव्यांग की पेंशन फिर से शुरू होने के साथ ही एरियर भी मिला है। चोरगलिया के हरी किशनपुर निवासी रमेश चंद्र चंदोला कुमाऊं रेजीमेंट में लांस नायक थे। कमर दर्द की शिकायत होने पर 13 साल की सर्विस के बाद सेना ने उन्हें घर भेज दिया था। इसके बाद उनकी दिव्यांगता पेंशन लागू हुई। मेजर बीएस रौतेला ने बताया कि कुछ साल पहले तक दिव्यांग सैनिक को हर दो-दो वर्ष में रिव्यू मेडिकल बोर्ड कराना पड़ता था। सेना के अस्पताल में दिव्यांग का चेकअप कर दिव्यांगता की जांच होती थी। जांच में दिव्यांगता का प्रतिशत पहले के बराबर रहता था तो उसकी पेंशन को दो साल के लिए बढ़ाया जाता था। 2001 में रमेश ने रिव्यू मेडिकल बोर्ड कराया तो मिलेट्री हॉस्पिटल ने उनकी दिव्यांगता पेंशन को आजीवन कर दिया और उसे दिव्यांगता पेंशन पेमेंट आर्डर(पीपीओ) जारी कर दिया गया। वहीं बैंक ने आजीवन करने के बजाय पेंशन रोक दी। पिछले साल रमेश ने मई में चोरगलिया में आयोजित कैंप में मेजर रौतेला से मुलाकात कर दस्तावेज दिखाए। मेजर रौतेला ने बैंक प्रबंधक से मिलकर रमेश के पीपीओ आदि कागजात दिखाए। इसके बाद सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग पेंशन सेंटर(सीपीपीसी) दिल्ली में दिव्यांग की शिकायत भेजी गई। कई बार शिकायत भेजने पर भी जवाब नहीं आया तो आरटीआइ का सहारा लिया गया। इस पर सीपीपीसी ने बैंक को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। मेजर रौतेला ने बताया कि दिव्यांग को पेंशन लागू कर 2001 से अब तक की पेंशन का एरियर भेज दिया है।
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