सात साल बाद शिक्षिका को इंसाफ, मिलेगी ग्रेच्युटी
करीब सात साल से श्रम न्यायालय में ग्रेच्युटी को लेकर चल रहे केस में बुधवार को फैसला आ गया। सनवाल स्कूल नैनीताल में अध्यापिका रहीं पुष्पा जोशी ने 1973 से लेकर 2011 तक कार्य किया।
By Edited By: Published: Wed, 18 Apr 2018 09:09 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 04:59 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: करीब सात साल से श्रम न्यायालय में ग्रेच्युटी को लेकर चल रहे केस में बुधवार को फैसला आ गया। सनवाल स्कूल नैनीताल में अध्यापिका रहीं पुष्पा जोशी ने 1973 से लेकर 2011 तक कार्य किया। श्रम न्यायालय ने विद्यालय प्रबंधन को शिक्षिका को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। ग्रेच्युटी कानून 1972 का है। कानून कहता है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मकार की ग्रेच्युटी तुरंत नियोक्ता या मालिक को ब्याज सहित भुगतान करनी होगी। श्रम न्यायालय में सनवाल स्कूल नैनीताल से रिटायर टीचर पुष्पा जोशी ने वाद दायर किया। इसमें दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए गए। जब केस चला तब, स्कूल पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी की टीचर्स कर्मकार की परिभाषा से कवर्ड नहीं हैं। इसलिए यह लाभ ग्रेच्युटी के रूप में नहीं दिया जा सकता। उप श्रमायुक्त कुमाऊं अनिल पेटवाल ने बताया कि श्रम न्यायालय द्वारा आदेश में यह लिखा गया कि जो स्कूल के द्वारा दलील दी गई है वह कानूनी रूप से गलत है। ग्रेच्युटी कानून में कर्मचारी की परिभाषा काफी व्यापक है। यह मात्र कर्मकार तक सीमित नहीं है। ग्रेच्युटी कानून में कर्मचारी की परिभाषा सभी स्तर के कर्मचारियों पर लागू है। सिर्फ अप्रेंटिस कर्मकारों पर यह लागू नहीं है। पुष्पा जोशी अप्रेंटिस नहीं हैं, इसलिए उन्हें भी ग्रेच्युटी भुगतान किया जाए। यह रकम ब्याज सहित तीन लाख 38 हजार 666 रुपये आ रही है। उन्होंने बताया कि अगर एक माह के भीतर स्कूल रकम का भुगतान नहीं करता तो फिर प्रबंधन पर वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
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