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बागेश्‍वर में 17 वर्षीय क‍िशोरी की मौत, स्‍वजनों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप

स्‍वजनों ने कहा कि सारी जांच रिपोर्ट चिकित्सकों ने देख ली थी। फिर भी वह नही बता पाए की उसके लीवर में दिक्कत है। पांच दिन तक वह बीमार बच्ची के साथ अस्पताल में प्रयोग करते रहे। पहाड़ में भेजे जा रहे चिकित्सक रिपोर्ट पढ़ना तक नही जानते है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 04:33 PM (IST)
बागेश्‍वर में 17 वर्षीय क‍िशोरी की मौत, स्‍वजनों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप
पहाड़ में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान राज्य बनने के 21 साल बाद भी नही हुआ।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : स्वास्थ्य की लचर व्यवस्थाओं ने अयारतोली गांव एक किशोरी की जान ले ली। मृतका के परिजन अब सरकार को इस व्यवस्था का जिम्मेदार मानते हुए न्याय की मांग कर रहे हैं।

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पहाड़ में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान राज्य बनने के 21 साल बाद भी नही हुआ है। जनप्रतिनिधियों के खोखले दावों व नाकारेपन से आज स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोग मरने को मजबूर है। ऐसा ही हुआ राधा पांडे पुत्री संतोष पांडे निवासी अयारतोली के साथ।17 वर्षीया राधा ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ में किसी चिकित्सक से चेकअप कराया। उसने जरुरी टेस्ट, अल्ट्रासाउंड आदि कराया। सारे रिपोर्ट आने के बाद राधा को बीते 16 जुलाई को अस्पताल में भर्ती किया गया। कुछ देर बाद चिकित्सकों ने दवा आदि देकर उसे डिस्चार्ज कर दिया। 18 जुलाई की रात को उसकी हालत खराब हो गई। परिजन उसे सीएचसी बैजनाथ इलाज के लाए। वहां तैनात स्टाफ ने चिकित्सक ना होने की बात कही और उसे एडमिट नही किया। उसके पर पीड़ित के परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल बागेश्वर ले आए। दो दिन यहां भी उसके साथ प्रयोग किया गया। जब उसके हालत में सुधार नही हुआ तो उसे 20 जुलाई को फिर रेफर कर दिया। परिजन उसे हल्द्वानी के सुशाीला तिवारी अस्पताल, बरेली के राममूर्ति, दिल्ली के गंगाराम आदि अस्पतालों में ले गए। बाहर लाखों रुपए इलाज के लिए मांगे गए। इसके बाद परिजन राधा को हल्द्वानी ले आए जहां उसने दम तोड़ दिया।

राधा के चाचा भुवन पांडे, माता बिमला देवी, पिता संतोष पांडे ने बच्ची की मौत का जिम्मेदार स्वास्थ्य महकमे का माना है। उन्होंने कहा कि सारी जांच रिपोर्ट चिकित्सकों ने देख ली थी। फिर भी वह नही बता पाए की उसके लीवर में दिक्कत है। पांच दिन तक वह बीमार बच्ची के साथ अस्पताल में प्रयोग करते रहे। पहाड़ में भेजे जा रहे चिकित्सक रिपोर्ट पढ़ना तक नही जानते है। यही लापरवाही मेरी बच्ची को खा गई। अगर यह पहले दिन ही बता देखते तो शायद बच्ची सुरक्षित होती। अपनी बेटी, भतीजी खाे चुके परिजनों ने कहा कि कौन है राधा की मौत का जिम्मेदार, सिस्टम, सरकार, अस्पताल या हालात। परिजनों ने एक ज्ञापन एसडीएम को भेज न्याय दिलाने की मांग की है।


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