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अधूरी तैयारी के साथ स्वाइन फ्लू का अलर्ट

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक ने अलर्ट जारी किया है, मगर यह अ

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 02 Mar 2017 01:00 AM (IST)
अधूरी तैयारी के साथ स्वाइन फ्लू का अलर्ट
अधूरी तैयारी के साथ स्वाइन फ्लू का अलर्ट

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक ने अलर्ट जारी किया है, मगर यह अलर्ट अधूरी तैयारियों के बीच है। कुमाऊं की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी बदहाल है कि मरीजों को छोटी से छोटी बीमारी के इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है। ऊपर से कुमाऊं के अस्पतालों की स्थिति देखकर स्वाइन फ्लू का अलर्ट महज औपचारिकता भर दिख रहा। कहीं पर आइसोलेशन वार्ड नहीं हैं तो कहीं पर डॉक्टर ही नहीं हैं।

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कुमाऊं के प्रमुख शहर हल्द्वानी का बेस अस्पताल जहां पर दूर-दराज से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं उसमें एक छोटा कमरा है, जिसके बाहर आइसोलेशन वार्ड लिखा गया है। यह भी महज रस्म अदायगी भर के लिए। इसमें केवल एक फिजीशियन कार्यरत है, जिन्हें कभी वीवीआइपी ड्यूटी तो कभी किसी अन्य कार्य के लिए शहर से बाहर जाना पड़ता है। अल्मोड़ा के जिला व बेस अस्पताल का हाल इससे भी बुरा है। स्वास्थ्य महानिदेशक के खोखले दावे के बीच यहां पर भी आइसोलेशन वार्ड महज औपचारिकता भर के लिए बना है। पिथौरागढ़ में इस नाम से कहीं वार्ड ही नहीं। बागेश्वर की स्वास्थ्य सुविधा पहले से ही खस्ताहाल है और अब महानिदेशक का अलर्ट इस जिले की स्वास्थ्य सुविधा को मुंह चिढ़ा रहा है। देहरादून में एक केस मिलने के बाद महकमे में ऊपरी स्तर पर हलचल तो नजर आ रही है, लेकिन हकीकत में तैयारी अभी अधूरी है।

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एसटीएच में सुविधा, रुद्रपुर में वार्ड

मेडिकल कॉलेज के अधीन डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में आइसोलेशन वार्ड बना है। यहां पर डॉक्टर भी हैं। कुछ दवाइयां भी उपलब्ध हैं। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं। रुद्रपुर में 12 बेड का आइसोलेशन वार्ड बना है। हालांकि, मरीज के गंभीर होने पर पर्याप्त उपकरण वहां भी उपलब्ध नहीं हैं।

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जांच की सुविधा भी नहीं

स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा नहीं है। संदिग्ध मामले में भी अगर सैंपल ले लिए गए तो रिपोर्ट कब तक आएगी, कुछ पता नहीं। स्वाइन फ्लू की जांच के लिए सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीज (एनआइसीडी) दिल्ली को भेजे जाते हैं। वहां से रिपोर्ट पहुंचने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग जाता है। कई बार दो सप्ताह से भी अधिक का समय लग जाता है। इस स्थिति में मरीज में रोग होने की पुष्टि नहीं हो पाती। कई बार सैंपल लेने के बाद भेजने में समय लग जाता है। इसकी वजह से भी सैंपल की रिपोर्ट सही होगी, इस पर संशय रहता है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने कोई ठोस पहल नहीं की है। केवल अलर्ट जारी कर औपचारिकता पूरी कर दी है।

मैंने हल्द्वानी के बेस अस्पताल, एसटीएच, संयुक्त चिकित्सालय रामनगर व बीडी पांडे नैनीताल में आइसोलेशन वार्ड बनाने को कहा है। दवाइयां उपलब्ध हैं। अब जाकर देखूंगा, कहां वार्ड बने हैं।

-डॉ. एलएम उप्रेती, मुख्य चिकित्सा अधिकारी


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