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कालापानी तक बनेंगे 10 पुल, तीन तैयार, आवागमन के साथ ही आपदा में भी मिलेगी राहत

तीन आरसीसी पुलों का निर्माण हो चुका है। शेष सात में से एक पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। तीन साल के भीतर सभी पुल बन जाने से सीमांत इलाके को आपदा के दौरान भी आवागमन के लिए बड़ी राहत मिलेगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 08:21 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 08:21 PM (IST)
बीआरओ ने धारचूला से गर्बाधार के मध्य एलागाड़, दोबाट में आरसीसी पुल बना लिए हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : धारचूला से तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग पर अगले तीन वर्षों में सभी नदी-नालों पर 10 चौड़े आरसीसी (रीइन्फोस्र्ड सीमेंट क्रंकीट) पुल नजर आएंगे। तीन आरसीसी पुलों का निर्माण हो चुका है। शेष सात में से एक पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। तीन साल के भीतर सभी पुल बन जाने से सीमांत इलाके को आपदा के दौरान भी आवागमन के लिए बड़ी राहत मिलेगी।

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धारचूला से चीन सीमा लिपुलेख तक 110 किमी सड़क का कायाकल्प होने जा रहा है। आलवेदर की तरह ही यह सड़क भी कभी बंद नहीं होगी। धारचूला से मांगती तक बीआरओ सड़क चौड़ीकरण का कार्य पूरा कर चुका है। मांगती से लिपुलेख तक कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इस समय मार्ग बर्फ से पटा होने पर भी बूंदी से छियालेख की चढ़ाई पर मोड़ सुधारीकरण का कार्य जारी है। तवाघाट से मांगती के बीच डामरीकरण भी जारी है।

बीआरओ ने इस वर्ष के अंत तक मांगती, गर्बाधार तक सड़क को हाईवे की तरह विकसित करने तथा 2022 तक लिपुलेख तक सड़क के डामरीकरण का दावा किया है। अब मार्ग पर बने लोहे के गार्डर बैली ब्रिज को आरसीसी ब्रिज बनने की प्रक्रिया चल रही है। बीआरओ ने धारचूला से गर्बाधार के मध्य एलागाड़, दोबाट में आरसीसी पुल बना लिए हैं। तीसरा तीनतोला के पास बन रहा है।

इन स्थानों पर बनेंगे आरसीसी पुल

नजंग, मालपा, तवाघाट, बूंदी, गुंजी, कालापानी में पुल बनने हैं। आरसीसी पुल बनते ही लिपुलेख मार्ग में वाहनों की आवाजाही सुगम हो जाएगी। इन पुलों पर दोनों तरफ से एक साथ वाहन चल सकेंगे। बीआरओ के ओसी आनंद प्रियदर्शी का कहना है कि सभी आरसीसी पुल तीन साल के भीतर बन जाएंगे।


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