योग के मर्म को जानने के लिए संस्कृत जरूरी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : पतंजलि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भारत सरकार की ओर
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : पतंजलि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भारत सरकार की ओर से स्वीकृत अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्र के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पतंजलि विवि के प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि यदि योग और आयुर्वेद के मर्म को जानना है तो अवश्य ही संस्कृत का अध्ययन करें।
उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ में योग, आयुर्वेद और संस्कृत की त्रिवेणी बह रही है। जिसमें स्नान कर छात्रा अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि आयुर्विज्ञान और अनुसंधान के प्राचार्य प्रो. डीएन शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि शिक्षा पद्धति में कुछ ऐसी खामियां हैं कि आयुर्वेदाचार्य करने के लिए आने वाले विद्यार्थियों की संस्कृत में गति और रुचि उतनी नहीं होती जितनी अपेक्षित है। अत: इन्हें अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्र अंतर्गत पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों को सहायक पाठ्यक्रमों के रूप में पढ़ना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन पतंजलि विश्वविद्यालय के संस्कृत प्राध्यापक डॉ. विपिन कुमार द्विवेदी ने किया। पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा संस्कृत के माध्यम से अनेक मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं। संस्कृत भाषा दक्षता पाठ्यक्रम के छात्रों केशर, स्तुति, अनुराधा और पल्लवी आदि ने केंद्र की पिछले वर्ष की गतिविधियों को स्लाइड के माध्यम से प्रकाशित किया। केंद्र शिक्षक डॉ.संतोष कुमार ने प्रस्तावना भाषण में केंद्र की समीक्षा करते कहा कि योग और आयुर्वेद के छात्रा और प्राध्यापक इस पाठ्यक्रम को सहायक पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ें। कार्यक्रम में गत वर्ष की गतिविधियां में उत्तम प्रदर्शन करने वाले और परीक्षा में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले मेधावियों डॉ.धुव्र कुमार मिश्र, डॉ.प्रभात कुमार श्रीवास्तव, शम्मा देवी, स्तुति, केसर, गायत्री, पूजा, नेहा प्रदिप सांगोड़कर, रोहित चितारा आदि को अतिथियों ने पुरस्कृत किया। इस अवसर पर पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय प्रो. दिनेश कुमार त्रिपाठी, पतंजलि विश्वविद्यालय के डॉ. गोविंद प्रसाद मिश्र, डॉ. रुद्र भंडारी, डॉ. वैशाली गौड़, डॉ.अभिषेक भारद्वाज, संदीप माणिकपुरी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र भी उपस्थित रहे। आयुर्वेद महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ.साधना ने शांति पाठ से कार्यक्रम का समापन किया।