Move to Jagran APP

धर्मनगरी से पवित्र छड़ी यात्रा को आज रवाना करेंगे सीएम

श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की ओर से निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धर्मनगरी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मायादेवी मंदिर से शुर्भ मुहर्त में बुधवार को रवाना करेंगे। पवित्र छड़ी चारधाम सहित उत्तराखंड के सभी पौराणिक तीर्थस्थलों की यात्रा कर 10 नवंबर को मायादेवी मंदिर हरिद्वार पहुंचेगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 08:01 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 08:01 PM (IST)
धर्मनगरी से पवित्र छड़ी यात्रा को आज रवाना करेंगे सीएम
धर्मनगरी से पवित्र छड़ी यात्रा को आज रवाना करेंगे सीएम

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की ओर से निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धर्मनगरी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मायादेवी मंदिर से शुर्भ मुहर्त में बुधवार को रवाना करेंगे। पवित्र छड़ी चारधाम सहित उत्तराखंड के सभी पौराणिक तीर्थस्थलों की यात्रा कर 10 नवंबर को मायादेवी मंदिर हरिद्वार पहुंचेगी।

loksabha election banner

मंगलवार को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने छड़ी का पूजन किया। इस मौके पर जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि बुधवार 20 अक्टूबर को यात्रा पर रवाना होने से पूर्व वाल्मीकि जयंती के पावन पर्व पर पवित्र छड़ी को वाल्मीकि चौक स्थित भगवान वाल्मीकि की पूजा-अर्चना के लिए ले जाया जाएगा। वहां से पवित्र छड़ी बिल्व पर्वत पर स्थित पौराणिक मंदिर सिद्धपीठ मां मनसा देवी मंदिर पहुंचेगी। वहां निरंजनी अखाड़े के सचिव और मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष श्रीमहंत रविदुपरी महाराज की अगुआई में पवित्र छड़ी की पूजा-अर्चना कर मां मनसा देवी का आर्शीवाद प्रदान कराया जाएगा। 21 दिन की इस यात्रा में पवित्र छड़ी चारधाम के अतिरिक्त त्रिजुगीनारायण, तृंगनाथ, भविष्य बदरी, आदि बदरी, नृसिंह मंदिर, आद्य जगदगुरु शंकराचार्य गुफा, सीतामढ़ी, नौटी गांव में श्रीयंत्र होते हुए कुमाऊं मंडल में प्रवेश करेगी। कुमाऊं मंडल में यात्रा वहां के सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों से होते हुए हरिद्वार लौटेगी।

श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि सनातन धर्म परंपरा में तीर्थाटन का विशेष महत्व है। पवित्र छड़ी यात्रा का उद्देश्य जहां तीर्थाटन को बढ़ावा देना है, वहीं इन यात्राओं के माध्यम से राष्ट्र को सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक एकता के सूत्र में बांधना भी है। यात्रा का सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। पलायन तथा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहाड़ खाली हो रहे है। इससे सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों की सीमा पर विदेशी आक्रमण का खतरा बढ़ गया है। पलायन को रोकने के लिए ऐसे स्थानों पर मेडिकल कालेज, अच्छे विद्यालय और उच्च शिक्षा को वि स्थापित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। श्रीमहंत ने सभी विधायकों से अपील की है कि वह सभी अपने विधानसभा क्षेत्र में स्थायी निवास बनाकर वहां स्थायी रूप से रहें।

--------

पहले बागेश्वर से आरंभ होती थी छड़ी यात्रा

श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि पिछले कई दशकों से पवित्र छड़ी यात्रा का आयोजन नहीं हो रहा था। वर्ष 2019 में इसका आयोजन दोबारा आरंभ हुआ। तब इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने मायादेवी मंदिर से रवाना किया था। साथ ही इसे राजकीय यात्रा घोषित करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से समस्त सुविधाएं उपलब्ध करायी थी। जूना अखाड़ा पहले छड़ी यात्रा का आरंभ कुमाऊं के बागेश्वर जिले से करता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.