मोहर्रम पर निकाला गया मातमी जुलूस
जागरण संवाददाता, रुड़की: शहर और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को मोहर्रम के
जागरण संवाददाता, रुड़की: शहर और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज की ओर से मातमी जुलूस निकाला गया। इस दौरान अजादारों ने खूनी मातम किया। साथ ही हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद किया गया।
शहर में मुस्लिम समाज की ओर से इमली रोड से मातमी जुलूस निकाला गया। यह जुलूस मेन बाजार, रामपुर चुंगी सहित विभिन्न मार्गों से होकर गुजरा। इस दौरान अजादारों ने खूनी मातम किया। वहीं, लंढौरा के जैनपुर झंझेडी गांव में 10वीं मोहर्रम पर शिया अजादारों ने खूनी मातम किया। वे नोहाखानी करते हुए इमाम बारगाह पहुंचे। जहां मौलाना महफूज हसन ने कहा कि कर्बला की जंग हक व बातिल के बीच हुई है। जिसमें हक की जीत हुई। जौनपुर से आये मौलाना महफूज हसन ने मजलिश खिताब करते हुए कहा कि यजीद खुद को खुदा कहलवाना चाहता था और अपनी बात कबूल करवाने के लिये हजरत इमाम हुसैन पर दबाव डाल रहा था लेकिन उन्होंने यजीद की बात कबूल नहीं की और दीने इस्लाम को बचाने के लिये कर्बला के मैदान में जंग हुई। एक तरफ हजारों का लश्कर था जिनके पास जंग के सभी सामान मौजूद थे, तो दूसरी तरफ हजरत इमाम हुसैन के साथ चंद लोगों का काफिला था। जिसमे औरतें और बच्चे भी थे। इस जंग में 72 लोग शहीद हुए थे। ये जंग हक और बातिल के बीच हुई। हजरत इमाम हुसैन हक पर थे। दीने इस्लाम को बचाने के लिये ही उन्होंने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। जिसमें जीत हजरत इमाम हुसैन की हुई। नोहाखानी में रजब अली, मजाहिर हुसैन, सफदर अली, असगर अली, कौशर अली आदि मौजूद रहे।