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Uttarakhand Paper Leak: चंद सालों में फर्श से अर्श पर पहुंचा संजय धारीवाल, काली कमाई से बन बैठा ग्राम प्रधान

Uttarakhand Paper Leak पेपर लीक मामले में धारीवाल के नामजद होने से तमाम सवाल उठ रहे हैं। वहीं कुछ सालों की राजनीति में संजय धारीवाल की संगठन में पैठ और फर्श से अर्श पर पहुंचने से हर कोई हैरान था।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sat, 04 Feb 2023 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2023 11:38 AM (IST)
Uttarakhand Paper Leak: परीक्षा से पहले पेपर लीक कर अभ्यर्थियों को बेचते हुए आरोपितों ने जमकर चांदी काटी।

जागरण संवाददाता हरिद्वार : Uttarakhand Paper Leak: परीक्षा से पहले पेपर लीक कर अभ्यर्थियों को बेचते हुए आरोपितों ने जमकर चांदी काटी। अपने लालच के लिए उन्होंने अनगिनत बेरोजगारों के भाग्य से खिलवाड़ कर डाला।

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काली कमाई से किसी ने प्लाट खरीदा तो कोई नई कार ले आया। लेकिन, पेशे से राजनीतिज्ञ होने के चलते भाजपा नेता संजय धारीवाल ने इस रकम को राजनीति में निवेश किया और चुनाव लड़कर प्रधान बन बैठा। कुछ सालों की राजनीति में संजय धारीवाल की संगठन में पैठ और फर्श से अर्श पर पहुंचने से हर कोई हैरान था।

भाजपा के कई और बड़े नेताओं का करीबी रहा संजय धारीवाल

शुक्रवार को पेपर लीक मामले में धारीवाल के नामजद होने से तमाम सवाल उठ रहे हैं। आम अभ्यर्थियों और आमजन के मन में एक सवाल अभी भी कौंध रहा है कि गैर कानूनी कृत्य से जुटाई गई संपत्ति जब्त करने वाला कानून क्या संजय धारीवाल के चुनाव को लेकर कोई फैसला कर पाएगा।

एई और जेई परीक्षा के पेपर लीक मामले में नामजद हुए संजय धारीवाल की गिनती भाजपा में सांसद रमेश पोखरियाल निशंक गुट में होती है। वह भाजपा के कई और बड़े नेताओं का करीबी रहा है। सांसद निशंक के साथ उसकी तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही हैं। पिछले महीने पटवारी भर्ती में पेपर लीक आउट का भंडाफोड़ होने से संजय धारीवाल की धड़कनें बढ़ी हुई थी।

चूंकि, वह पटवारी से पहले यानि अप्रैल व मई के महीने में हुई एई व जेई परीक्षा का पेपर लीक करने वाली टीम का अहम किरदार रह चुका था। शुरूआती छानबीन में सामने आया है कि जेई व एई परीक्षा का पेपर 12 लाख रुपये से लेकर 18 लाख रुपये तक में बेचा गया। अभ्यर्थियों से एडवांस के तौर पर पांच से 15 लाख रुपये तक की रकम ली गई थी। इस रकम का बंटवार अप्रैल-मई में परीक्षा के 15 दिन के भीतर ही कर लिया गया था।

हालांकि, पटवारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक करने और बेचने में खिलाड़ियों ने संजय धारीवाल को अपने साथ शामिल नहीं किया, लेकिन, सूत्र बताते हैं कि पिछले पेपर लीक कांड में संजय धारीवाल के हिस्से में 20 लाख से ज्यादा की रकम आई थी।

ये चर्चाएं भी जोरों पर हैं कि संजय ने इस रकम का इस्तेमाल ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने में किया। हालांकि, एसआइटी के अधिकारी भाजपा नेता के सवाल पर कुछ भी साफ बोलने से बच रहे हैं। अलबत्ता, संजय धारीवाल के नामजद होने से जल्द ही कई और सफेदपोश के नाम उजागर होने की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।

रिमांड पर खुला धारीवाल का नाम

चुनाव जीतने के बाद संगठन से उसका जुड़ाव लगातार बना रहा। बड़े नेताओं की कृपा संजय पर निरंतर बरसती रही। यही वजह है कि पिछले दिनों उसे मंगलौर मंडल अध्यक्ष जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। लेखपाल पेपर लीक कांड में संजीव चतुर्वेदी सहित अन्य आरोपितों के जेल जाने के बाद से संजय धारीवाल का नाम अचानक चर्चाओं में आने लगा था। हालांकि, तब तक किसी को यह मालूम नहीं था कि एई व जेई परीक्षा का भी पेपर लीक हुआ था।

पहले राजपाल व संजीव और फिर मास्टरमाइंड संजीव चतुर्वेदी से रिमांड पर हुई पूछताछ में संजय धारीवाल का नाम सामने आया। सूत्र बताते हैं कि एसआइटी ने उससे पूछताछ भी की थी। इसलिए संगठन ने फजीहत से बचने के लिए संजय धारीवाल से इस्तीफा भी ले लिया था। शु़कव्रार को एफआइआर में नामजद होने पर आखिरकार संजय धारीवाल की हकीकत सामने आ गई।

आयोग में और कितने विभीषण

संजीव चतुर्वेदी के बाद अब सेक्शन अधिकारी संजीव कुमार का नाम पेपर लीक कांड में सामने आने पर आयोग की कार्यशैली फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। दोनों प्रकरण में यह साफ है कि आयोग के भीतर से मदद न मिलती तो कहानी के बाकी किरदार आम अभ्यर्थियों के सपनों को न रौंद पाते। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आयोग में और कितने विभीषण मौजूद हैं।

अभ्यर्थी तो आयोग का पूरा स्टाफ तक बदलने की मांग उठा रहे हैं। पटवारी की परीक्षा दे चुके अर्जुन सैनी, नागेंद्र सक्सेना और विभास चौहान का कहना है कि पहले यूकेएसएसएससी और अब लोक सेवा आयोग में दो-दो कांड सामने आने से यह तय हो गया है कि प्रदेश सरकार व संस्थाएं पारदर्शी परीक्षाएं कराते हुए बेरोजगारों को ईमानदारी से रोजगार देने में सक्षम नहीं है, ऐसे में भर्ती की जिम्मेदारी किसी दूसरे राज्य को दे देनी चाहिए। या फिर केंद्र सरकार को इसकी कमान अपने हाथ में लेनी चाहिए। तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सकता है।


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