बयान दर्ज कराने को तैयार नहीं उत्तर प्रदेश के पीड़ित
उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड के फर्जी एजीएम की धोखाधड़ी के शिकार पीड़ित बेरोजगार बयान दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं है। अधिकांश पीड़ित उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। हरिद्वार पुलिस ने उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड के फर्जी एजीएम की धोखाधड़ी के शिकार पीड़ित बेरोजगार बयान दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं है। अधिकांश पीड़ित उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। हरिद्वार पुलिस ने उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है।
उत्तरी हरिद्वार में शांतिकुंज गेट नंबर एक के पास स्थित संत अनुयायी आश्रम में अश्विनी नामक एक व्यक्ति आकर ठहरा था। उसने खुद को उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड में एजीएम पद पर कार्यरत बताते हुए आश्रम के व्यवस्थापक ऋतु शिवानंद से जान-पहचान बढ़ाई और नौकरी लगवाने की बात कही। झांसे में आकर ऋतु शिवानंद ने बनारस से अपने भतीजे शैलेंद्र को बुलवाया और 1800 रुपये शुल्क के साथ आवेदन फार्म भरवाया। बाद में आश्रम में रहने वाले अन्य लोगों ने अपनी रिश्तेदारी के बेरोजगार युवकों को बुलाकर 1800 रुपये प्रति फार्म की दर से रुपये जमा कराए। बाद में शातिर ने इंजीनियर पद पर भर्ती का झांसा देकर आश्रम में रहने वाले लोगों के कुछ रिश्तेदारों से 10 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये प्रति फार्म वसूल किए। फिर साक्षात्कार के नाम पर दो-दो लाख रुपये मांगे। शक होने पर जब कुछ बेरोजगारों ने यूजेवीएनएल में संपर्क किया तो पता चला कि अश्विनी नाम का कोई एजीएम कार्यरत नहीं है और न ही विभाग में किसी पद पर कोई भर्ती निकली है। इस पर उन्होंने सप्तऋषि पुलिस चौकी प्रभारी रणवीर ¨सह चौहान को सूचना दी। पुलिस ने आरोपित अश्विनी पुत्र रामचंद्र लाल निवासी बनारस उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद से पुलिस लगातार पीड़ितों को बयान दर्ज कराने के लिए हरिद्वार बुला रही है, मगर अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। सप्तऋषि पुलिस चौकी प्रभारी रणवीर ¨सह चौहान ने बताया कि पीड़ितों को उनके रिश्तेदारों के माध्यम से बुलाया गया है।