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गन्ना भुगतान : गैरों पर सितम, अपनों पर करम

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : गन्ना विभाग और प्रशासन का शुगर मिलों पर कार्रवाई करने में सौतेला व्य

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 03:01 AM (IST)
गन्ना भुगतान : गैरों पर सितम, अपनों पर करम
गन्ना भुगतान : गैरों पर सितम, अपनों पर करम

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : गन्ना विभाग और प्रशासन का शुगर मिलों पर कार्रवाई करने में सौतेला व्यवहार सामने आ रहा है। दरअसल, निजी चीनी मिलों पर तो आरसी तक की कार्रवाई की जा रही है। लेकिन सरकारी शुगर मिल डोईवाला पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि डोईवाला शुगर मिल किसानों को समय पर गन्ना भुगतान नहीं कर रहा है। बावजूद इसके सरकारी मिल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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प्रशासन और गन्ना विभाग ने समय पर गन्ना भुगतान नहीं करने पर हरिद्वार के लक्सर, लिब्बरहेड़ी और इकबालपुर शुगर की आरसी जारी कर दी है। प्रशासन ने शुगर मिलों से आरसी वसूलने की प्रक्रिया भी प्रशासन ने शुरू कर दी है। लेकिन देहरादून जिले में आने वाले डोईवाला शुगर मिल ने अपना पेराई सत्र छह दिसंबर का शुरू कर दिया था। जिससे मिल को पेराई करते हुए दो माह का समय गुजर चुका है। जिससे मिल पर ज्वालापुर और इकबालपुर गन्ना विकास समिति से जुड़े किसानों का लगभग 13 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मिल खरीद चुका है। लेकिन मिल ने किसानों को गन्ना भुगतान नहीं किया। किसान लगातार मिल से भुगतान की मांग कर रहे हैं। इसके लिए रोजाना किसान समितियों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन गन्ना विभाग और प्रशासन हरिद्वार के निजी शुगर मिलों की तरह शुगर मिल पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे किसानों में मिल और प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है। किसान भुगतान नहीं करने वाले सरकारी शुगर मिल पर भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। गन्ना विभाग मिलों पर कार्रवाई करने में सौतेला व्यवहार अपना रहे हैं। जिसे अब किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग को चाहिए कि वह भुगतान समय पर न करने वाले डोईवाला शुगर मिल पर भी जल्द कार्रवाई करे या भुगतान दिलाए, वरना मिल के खिलाफ धरना दिया जाएगा। चौधरी महकार ¨सह, जिलाध्यक्ष, उत्तराखंड किसान मोर्चा

डोईवाला मिल छोटी है। उसमें केवल चीनी बनती है, उसके पास पावर प्लांट और अन्य आय के कोई साधन नहीं हैं। जिससे मिल घाटे में ही रहती है। वैसे भी भुगतान की जिम्मेदारी सरकार की होती है। फिर भी अगर जरूरत पड़ेगी तो मिल पर कार्रवाई भी की जाएगी। ललित मोहन रयाल, गन्ना आयुक्त


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