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समुद्री परिवहन में ईंधन की खपत घटाने में कामयाबी, आइएमयू विवि और आइआइटी रुड़की ने किया संयुक्त शोध

आइआइटी रुड़की के जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग एवं भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम (आइएमयू-वी) के हाइड्रोपावर सिमुलेशन प्रयोगशाला (एचएसएल) की ओर से संयुक्त रूप से शोध किया है। शोध के दौरान किए गए प्रयोगों से समुद्री परिवहन में ईंधन की खपत घटाने में कामयाबी मिली है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 07:05 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 07:05 AM (IST)
समुद्री परिवहन में ईंधन की खपत घटाने में कामयाबी, आइएमयू विवि और आइआइटी रुड़की ने किया संयुक्त शोध
समुद्री परिवहन में ईंधन की खपत घटाने में कामयाबी, आइएमयू विवि और आइआइटी रुड़की ने किया संयुक्त शोध।

जागरण संवाददाता, रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग एवं भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम (आइएमयू-वी) के हाइड्रोपावर सिमुलेशन प्रयोगशाला (एचएसएल) की ओर से संयुक्त रूप से शोध किया है। शोध के दौरान किए गए प्रयोगों से समुद्री जहाजों तक सामान ढोने वाले टगबोट्स में लगने वाले ईंधन में 29 प्रतिशत की बचत की गई है।

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शोधकर्ताओं ने समुद्री परिवहन में आने वाले ईंधन की लागत को कम करने के साथ ही उत्सर्जित कार्बन की मात्रा को भी कम करने में कामयाबी मिली है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से वित्त पोषित शोध में विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट ने विभिन्न प्रकार के समुद्री जहाजों, उनके परिचालन आदि की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है। संयुक्त शोध के दौरान समुद्री जहाज तक सामान को ढोने वाली टगबोट््स में लगे डीजल इंजन एवं बिजली उपकरणों का तकनीक के जरिये इस तरह समायोजन किया गया है कि पहले के बराबर सामान भरने पर भी ईंधन की लागत कम हो गई है। इसके लिए टगबोट्स में लगे पावर जनरेटिंग यूनिट्स में सप्लाई होने वाली बिजली की गति को एडजस्ट किया गया। गति को एडजस्ट करने के लिए स्टेट मशीन कंट्रोल अल्गोरिथम' का प्रयोग किया गया है। इससे डीजल की बचत 29 प्रतिशत तक आंकी गई है।

आइआइटी के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने संयुक्त शोध के परिणामों को लेकर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि इससे समुद्री उद्योग और अधिक सशक्त बनाने में मदद मिलेगी। एचएसएल के प्रभारी संकाय थंगा राज चेलिया ने बताया कि शोध में महत्वपूर्ण परिणाम हासिल हुए हैं। इस दौरान 29.86 प्रतिशत तक ईंधन की बचत हुई।

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