श्रवण बन दादी-दादा को करा रहा तीर्थ
-मेरठ के जंगेठी गांव का रहने वाला है राहुल, पिता और तीन मामा भी हैं साथ -दादी-दादा का
-मेरठ के जंगेठी गांव का रहने वाला है राहुल, पिता और तीन मामा भी हैं साथ
-दादी-दादा को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से पैदल ही ले जा रहा है अपने गांव
संवाद सहयोगी, रुड़की: भौतिकवाद की दौड़ में भले ही रिश्ते पीछे छूटते जा रहे हों, फिर भी समाज में श्रवण कुमार जैसे पुत्र एवं पौत्रों की कमी नहीं है। ऐसा ही एक पौत्र है मेरठ का जंगेठी गांव निवासी राहुल, जो अपने दृष्टिहीन दादा और दिव्यांग दादी को श्रवण की तरह ही तीर्थ यात्रा करा रहा है। राहुल के पिता और तीन मामा भी उसके इस पुण्य कार्य में सहभागी बन रहे हैं।
राहुल ने बताया कि वह अपने दादा छोटे लाल (90 वर्ष) और दादी कश्मीरी देवी (80 वर्ष) से बेहद स्नेह करता है। लेकिन, दादा देख नहीं सकते और दादी दिव्यांग हैं। कहता है, 'मैंने बचपन में श्रवण कुमार की कथा सुनी थी, जो मुझे गहरे तक छू गई। मैंने भी ठान लिया कि दादा-दादी को श्रवण की तरह ही तीर्थ कराऊंगा। मेरे इस संकल्प को पिता कमल कुमार ने न सिर्फ सहमति दी, बल्कि मेरे साथ चलने को भी तैयार हो गए। इसके अलावा तीनों मामा जॉनी, सोनवीर और अमित ने भी मेरे साथ चलने की बात कही।'
राहुल ने बताया कि वह 19 जुलाई को बस से ऋषिकेश पहुंचे और 20 जुलाई को उन्होंने दादा-दादी के साथ नीलकंठ के दर्शन किए। फिर हरिद्वार आकर चंडी देवी और मंसा देवी की चौखट पर भी मत्था टेका। इसके बाद हरकी पौड़ी में दादा-दादी को गंगा स्नान कराया। यहां से श्रवण कुमार की तरह राहुल भी दादा-दादी को कांवड़ में बैठाकर पैदल ही गांव लौटे रहा है। पिता कमल और तीनों मामा कांवड़ ले जाने में उसकी मदद कर रहे हैं।
सेवा से प्रफुल्लित हैं दादी-दादा
राहुल के दादा-दादी पोते की इस सेवा से बेहद खुश हैं। पिता कमल कुमार के अनुसार उन्हें गर्व है कि उनका बेटा दादा-दादी की इतनी सेवा कर रहा है। जबकि, रास्ते में गड्ढे में पांव पड़ जाने के कारण उसके पांव में काफी दर्द है।
ऐसी संतान भगवान सबको दे
राहुल जिस मार्ग से भी गुजरता है, हर कोई उसे देखकर बस यही कहता सुनाई दे रहा है कि ऐसी संतान भगवान सबको दे।