अपार ज्ञान संपदा से परिपूर्ण भाषा है संस्कृत
वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की ओर से प्रायोजित और पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से समायोजित योग सूत्र एवं इसकी तकनीकी शब्दावली विषय पर पांच दिवसीय वेबगोष्ठी में वक्ताओं ने संस्कृत को सबसे प्राचीनतम और अपार ज्ञान संपदा से परिपूर्ण भाषा बताया।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की ओर से प्रायोजित और पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से समायोजित योग सूत्र एवं इसकी तकनीकी शब्दावली विषय पर पांच दिवसीय वेबगोष्ठी में वक्ताओं ने संस्कृत को सबसे प्राचीनतम और अपार ज्ञान संपदा से परिपूर्ण भाषा बताया।
गुरुवार को हुई गोष्ठी में सह संयोजक डॉ. रुद्र भंडारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस मौके पर मुख्य अतिथि और अध्यक्ष सीएसटीटी नई दिल्ली के प्रो. अवनीश कुमार ने कोरोना की रोकथाम के लिए पतंजलि परिवार के प्रयास की सराहना करते हुए शब्दावली आयोग के कार्यक्षेत्र एवं भावी योजना के बारे में संक्षिप्त चर्चा की। उन्होंने संस्कृत को प्राचीनकाल में प्रबुद्ध वर्गो के चर्चा की भाषा बताया। विशिष्ट अतिथि और लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं है और योग ज्ञान प्राप्त करने का दिव्य साधन है। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने कहा कि आत्मबोध से बढ़कर कुछ भी नहीं है। उन्होंने दुनिया को दुनिया की ही भाषा में समझाने पर बल देते कहा कि शास्त्रीय और तकनीकी शब्दों के अर्थ जाने बिना उसके दिव्य भाव को ग्रहण नहीं किया जा सकता है। इस दौरान तीन तकनीकी सत्र भी आयोजित हुए। जिसमें विभिन्न संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना ज्ञानवर्धन किया।