संत की अस्थि विसर्जन यात्रा रोकने पर विवाद, हथियार लहराए
हरिद्वार के कनखल में आज अस्थि विसर्जन को लेकर हंगामा हो गया। नया पंचायती उदासीन अखाड़े के संत अस्थि विसर्जन के विरोध में उतर आए।
हरिद्वार, [जेएनएन]: कनखल में निकाली जा रही पंजाब के महंत मंगलदास की अस्थि विसर्जन यात्रा को नया पंचायती उदासीन अखाड़े के संतों ने रुकवा दिया। जिससे दोनों पक्षों के संत आमने-सामने आ गए और हंगामा खड़ा हो गया। हरिद्वार के संत यात्रा के दौरान ब्रह्मलीन संत को नया पंचायती उदासीन अखाड़े का जनरल सेक्रेटरी लिखे जाने का विरोध कर रहे थे। हंगामे के दौरान हथियार भी लहराए गए। विवाद की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और खासी मशक्कत के बाद संतों को शांत कराया। बाद में पुलिस के पहरे में ब्रह्मलीन संत मंगलदास का अस्थि विसर्जन हुआ।
नया पंचायती अखाड़ा उदासीन का मुख्यालय कनखल में है। अखाड़े से जुड़े संत दिल्ली और पंजाब सहित कई राज्यों में हैं। पंजाब के मांसा जखीपल में महंत मंगलदास शास्त्री के ब्रह्मलीन होने पर बृहस्पतिवार को उनकी अस्थि विसर्जन के लिए करीब 150 संत पंजाब से कनखल आए थे। बैंड बाजे के साथ यात्रा के रूप में अस्थियों को सतीघाट पर विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था। इसी बीच अखाड़ा अध्यक्ष धूनी सिंह, सेक्रेटरी जगतार सिंह, त्रिवेदी दास आदि स्थानीय संतों ने विरोध करते हुए यात्रा रुकवा दी। उनका कहना था कि ब्रह्मलीन संत को अखाड़े का सचिव गलत तरीके से लिखा गया है, जबकि पंजाब से आए महंत केवल दास का कहना था कि पंजाब में संतों ने बकायदा चुनाव के बाद महंत मंगलदास को जनरल सेक्रेटरी चुना था।
यात्रा रोकने का पंजाब से आए संतों ने विरोध किया। जिस पर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। लाइसेंसी हथियार भी बाहर निकल आए। संतों के बीच संघर्ष की सूचना पर कनखल एसओ अनुज सिंह पुलिस बल लेकर मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों से जानकारी ली। पुलिस ने बैनर को यात्रा से अलग करते हुए यात्रा को चालू कराया और सतीघाट पर पुलिस की मौजूदगी में अस्थि विसर्जन कराया गया। इसके बाद महंत केवल दास की ओर कनखल थाने में एक तहरीर भी दी गई। थानाध्यक्ष ने बताया कि अस्थि विसर्जन करा दिया गया है। तहरीर के आधार पर जांच की जा रही है।
नासिक कुंभ से पहले का है विवाद
अखाड़े के संतों के बीच कई साल से विवाद चला आ रहा है। नासिक कुंभ 2015 में अखाड़े ने पंजाब के पांच संतों का बहिष्कार का ऐलान भी किया था। महंत मंगल दास भी उन पांच संतों में एक थे। दूसरे गुट के संत महंत मंगलदास को अपना जनरल सेक्रेटरी मानते हैं, जबकि कनखल(हरिद्वार) के संत दूसरे गुट के संतों पर फर्जी होने का आरोप लगाते रहे हैं।
दो बार बदला यात्रा का रास्ता
संतों के बीच टकराव की आशंका पहले से थी। विवाद को देखते हुए यात्रा का दो बार रूट बदला गया। छावनी के पास आखिरकार स्थानीय संतों ने यात्रा को रुकवा लिया। अस्थि विसर्जन के बाद पंजाब के सभी संत श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा पहुंचे। निर्मल अखाड़ा के संतों ने उनके भोजन व ठहरने आदि की व्यवस्था कराई। पंजाब से महंत केवल दास, महंत बेअंत दास, महंत दयाल दास, महंत गणेश दास, महंत परमेश्वरानंद, कुंभदास मुनि आदि संत शोभायात्रा में शामिल हुए।
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