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संस्कृत का संवर्धन हर भारतवासी का कर्तव्य: भुवन चंद

विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री भुवन चंद्र ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति की धरोहर है इसका संवर्धन प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 07:10 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 07:10 PM (IST)
संस्कृत का संवर्धन हर भारतवासी का कर्तव्य: भुवन चंद

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री भुवन चंद्र ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति की धरोहर है, इसका संवर्धन प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।

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भुवन चंद्र मंगलवार को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज मायापुर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्या भारती के प्रांतीय मंत्री डा. रजनी कांत शुक्ला ने कहा कि जिस तरह नई शिक्षा नीति में संस्कृत को महत्व दिया गया है, उससे निश्चित ही नई पीढ़ी इसकी महत्ता को समझेगी और संस्कृत का तेजी से प्रचार होगा। विद्या भारती के संस्कृत भाषा राष्ट्रीय संयोजक उपेंद्र शास्त्री ने संपूर्ण देश में देववाणी संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने का आह्वान किया।

इस मौके पर विद्या भारती के प्रदेश निरीक्षक डा. विजयपाल सिंह, उत्तर पूर्व क्षेत्रीय संयोजक रमेश मणि पाठक, मध्य क्षेत्र संयोजक रवि शंकर शुक्ला, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र सह संयोजक राम प्रसाद मैठाणी, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक राधेश्याम शुक्ल उत्तर पूर्व क्षेत्र संयोजक नागेंद्र कुमार तिवारी, पूर्वोत्तर क्षेत्र संयोजक जीवन बरा, सह सयोजक अंजन गोस्वामी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक रामधुन पाल, दक्षिण मध्य क्षेत्र संयोजक गोवर्धन राघवाचार्य आदि मुख्य थे। संस्कृत के प्रचार-प्रसार को लिए गए अनेक निर्णय

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र से प्रारंभ होकर समापन तक नौ सत्रों में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक निर्णय लिए गए। तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से ही पढ़ाने के साथ संस्कृत शिक्षण में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। जिसके अनुसार क्रिया आधारित संस्कृत शिक्षण की व्यवस्था, खेल खेल में संस्कृत प्रशिक्षण, संस्कृत विषय में भारतीय कलाओं का संयोजन, संस्कृत संभाषण, संस्कृत शिक्षकों का प्रशिक्षण संस्कृत टंकण को कीबोर्ड के साथ बोल कर मोबाइल व टेबलेट पर उतारना, संस्कृत पाठ्य पुस्तकों का पुनर्निर्माण, व्यापक स्तर पर शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण तथा क्षेत्रीय स्तर पर विद्या भारती के द्वारा देशभर में बाल संस्कृत संगम के आयोजन जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।


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