जागरण संवाददाता, रुड़की : पितृ पक्ष आरंभ हो गया है। मंगलवार को प्रतिपदा के श्राद्ध पर स्वजन ने अपने पितरों का श्राद्ध किया। पूजन कर पितरों का तर्पण किया और पंडितों को भोजन करवाया। वहीं श्राद्ध पक्ष संपन्न होने तक पितरों के निमित्त ही कार्य किए जाएंगे। 22 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध होगा।

सनातन संस्कृति व परंपरा के अनुसार पितृ पक्ष शुरू होने के साथ ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नई वस्तुओं की खरीदारी आदि कार्य वर्जित माने गए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि वर्ष में श्राद्ध पक्ष का 16-17 दिन का समय पितरों के नाम होता है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ यमराज की आज्ञानुसार सूक्ष्म रूप में पृथ्वी लोक पर आते हैं। पितृ अपनी संतान की ओर से दिए गए श्राद्ध, भोजन, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। जिससे उन्हें संतुष्टि प्राप्त होती है। श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान, पितृ यज्ञ आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं। बताया कि छह अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध होने के साथ ही पितृ पक्ष संपन्न होंगे। पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली ने बताया कि पितरों का श्राद्ध श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। इससे पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है। बताया यदि कोई मनुष्य आर्थिक रूप से श्राद्ध करने में असमर्थ है तो उसे अपने पितरों की तिथि पर गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए। यदि उस व्यक्ति के लिए यह भी संभव नहीं है तो एकांत में जाकर दोनों हाथ ऊपर करके पितृों का स्मरण करना चाहिए। मात्र ऐसा करने से भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है।

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