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फरार आरोपितों की जल्द हो गिरफ्तारी : कपिल मुनि

श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय प्रकरण में हरेराम आश्रम के स्वामी महामंडलेश्वर कपिल मुनि ने रविवार को आश्रम में प्रेस वार्ता की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 11:34 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 11:34 PM (IST)
फरार आरोपितों की जल्द हो गिरफ्तारी : कपिल मुनि

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय प्रकरण में हरेराम आश्रम के स्वामी महामंडलेश्वर कपिल मुनि ने रविवार को आश्रम में प्रेस वार्ता की। उन्होंने अवैधानिक तरीके से संस्था पर कब्जा करने वाले अन्य आरोपितों को गिरफ्तारी की मांग की। वहीं, भारत युवा साधु समाज ने भी इस मामले में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी रूपेंद्र प्रकाश के साथ होने की बात कही है।

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महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि ने बताया कि 17 नवंबर 1965 को श्रीभगवानदास संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के संतों ने की थी। स्थापना के समय प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी गुरुचरण दास गोविद प्रकाश, स्वामी हंसप्रकाश, लाल भगवान कत्याल, हरेंद्र कत्याल, नरसिंह दास सोंधी व फूल स्याल को पदाधिकारी और सदस्य मनोनीत किया गया था। उक्त प्रबंधक कार्यकारिणी वर्ष 1965 से लेकर 1985 तक सुचारू रूप से महाविद्यालय का संचालन करती रही। आरोप लगाया कि उसके बाद से आरोपित विनय बगाई, अनिल मलिक, अजय चोपड़ा आदि ने मिलकर संस्था पर अपना अधिकार जमाने के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया था। आरोप लगाया कि वर्ष 2016-17 में प्रो. महावीर अग्रवाल, अजय चोपड़ा, डा. अरविद नारायण मिश्र, डा. शैलेंद्र कुमार तिवारी और डा. भोला झा आदि ने आपस में षड्यंत्र रचकर महाविद्यालय की जनक समिति के संविधान के विरुद्ध अवैधानिक रूप से विद्यालय की मूल समिति को बदल दिया। डा. बलराम गिरि महाराज ने बताया कि इस प्रकरण में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने ज्वालापुर कोतवाली में प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। 22 जुलाई को प्रभारी प्राचार्य डा. निरंजन मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया। शेष अभियुक्त फरार चल रहे हैं। उन्होंने फरार आरोपितों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की।

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माफी मांगें स्वामी शिवानंद

महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि ने मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों उनकी ओर से संस्था को कब्जाने वाले आरोपितों को संस्कृत का विद्वान बताया गया। जबकि अन्य संत, महंत, महामंडलेश्वर आदि को महाभ्रष्ट बताया। स्वामी कपिल मुनि ने इस कृत्य के लिए लिखित में माफी मांगने की मांग की।


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