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रुड़की से लक्‍सर तक बाढ़ के खतरे का पता लगाएगा एनआइएच

प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह पता लगाना है कि बाढ़ आने पर नदी के दोनों किनारों में कितनी दूर तक पानी पहुंच सकता है। इससे जान-माल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

By gaurav kalaEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2016 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2016 01:47 PM (IST)
रुड़की से लक्‍सर तक बाढ़ के खतरे का पता लगाएगा एनआइएच

रुड़की, [जेएनएन]: राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) और रुड़की भीमगोड़ा बैराज से लक्सर क्षेत्र तक बाढ़ के खतरे का पता लगाएगा, ताकि संभावित नुकसान को कम किया जा सके। उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने एनआइएच को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
एनआइएच रुड़की की ओर से इन दिनों उत्तराखंड सिंचाई विभाग के प्रोजेक्ट के तहत भीमगोड़ा बैराज से लक्सर क्षेत्र तक सर्वे का काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के जरिये एनआइएच के वैज्ञानिक इस बात का पता लगाएंगे कि यदि इस क्षेत्र में बाढ़ आती है तो नदी का पानी दोनों किनारों पर कितनी दूर तक नुकसान पहुंचा सकता है।

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इसके लिए वैज्ञानिकों की ओर से पिछले 40-50 साल के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं आगामी एक सौ साल को ध्यान में रखते हुए यह अध्ययन किया जाएगा। एनआइएच के वैज्ञानिक एवं इस प्रोजेक्ट के प्रिंसीपल इंवस्टीगेटर डॉ. संजय कुमार जैन के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर संस्थान के चार-पांच वैज्ञानिकों की टीम कार्य कर रही है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह पता लगाना है कि बाढ़ आने पर नदी के दोनों किनारों में कितनी दूर तक पानी पहुंच सकता है। इसकी सटीक जानकारी होने के बाद जान-माल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

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साथ ही इसका पता लगाकर भविष्य की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी। उनके अनुसार इस प्रोजेक्ट की समय सीमा दस महीने है।

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