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भगवान राम के पूर्वज राजा इक्ष्वाकु के नाम से जानी जाएगी नई अयोध्या

तीर्थनगरी अयोध्या में निर्मित हो रहे श्रीरामजन्म मंदिर को लेकर हो रहे नव निर्माण से विकसित नई अयोध्या को भगवान श्रीराम के पूर्वज महाप्रतापी राजा इक्ष्वाकु के नाम पर इक्ष्वाकु नगरी के नाम से बसाया जाएगा। श्रीरामजन्म भूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपतराय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 08:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 08:59 PM (IST)
भगवान राम के पूर्वज राजा इक्ष्वाकु के नाम से जानी जाएगी नई अयोध्या
भगवान राम के पूर्वज राजा इक्ष्वाकु के नाम से जानी जाएगी नई अयोध्या

अनूप कुमार सिंह, हरिद्वार

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तीर्थनगरी अयोध्या में निर्मित हो रहे श्रीरामजन्म मंदिर को लेकर हो रहे नव निर्माण से विकसित नई अयोध्या को भगवान श्रीराम के पूर्वज महाप्रतापी राजा इक्ष्वाकु के नाम पर इक्ष्वाकु नगरी के नाम से बसाया जाएगा। श्रीरामजन्म भूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपतराय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि श्रीरामजन्म भूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास 70 एकड़ के श्रीराम मंदिर परिसर को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की मर्यादा के अनुसार निर्मित करा रहा है। पूरा परिसर राममय होगा। रामलला के दरबार में रामभक्तों को दिव्य दर्शन के साथ-साथ असीम आध्यात्मिक शांति व सुख की अनुभूति होगी। पूरा परिसर इको फ्रेंडली बनने के कारण मंदिर का ज्यादातर भाग खुला रहेगा। इसका एक लाभ यह होगा कि चारों तरफ से मंदिर के दर्शन किए जा सकेंगे।

श्रीरामजन्म भूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपतराय ने बताया कि मंदिर निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद देश-विदेश से रोजाना करीब एक लाख भक्त रामलला के दर्शन को पहुंचेंगे। इसलिए मंदिर परिसर की व्यवस्थाओं को ऐसा स्वरूप दिया जा रहा है कि आने वाले श्रद्धालु अपने स्वजन के साथ अयोध्या नगरी में कम से कम पांच से सात दिन ठहर सकें। बताया कि श्रीराम मंदिर न्यास और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर अयोध्या का सतत विकास किया जा रहा है। मंदिर क्षेत्र और उससे लगा आसपास का बड़ा परिसर नई अयोध्या नगरी के रूप में विकसित हो रहा है। इस नई नगरी का नाम सर्वसम्मति से इक्ष्वाकु नगरी रखने का फैसला कर लिया गया है। बताया कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सरकारी धन का कोई उपयोग या सहयोग नहीं लिया गया है। इसे भारतवंशियों के साथ-साथ हिदू समाज के सहयोग से ही निर्मित किया जाएगा।


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