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सस्ते आटोमेटेड गाइडेड वाहन के डिजाइन और विकास के लिए करार

जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और टेट्राहेड्रन मैन्य

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 03:01 AM (IST)
सस्ते आटोमेटेड गाइडेड वाहन के डिजाइन और विकास के लिए करार

जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और टेट्राहेड्रन मैन्युफैक्च¨रग सर्विसेज (टीएमएस) प्राइवेट लिमिटेड ने कम कीमत के ऑटोमेटेड गाइडेड वाहन (एजीवी) के डिजाइन और विकास के लिए सहमति करार पर हस्ताक्षर किए हैं। यह करार तीन वर्षों के लिए किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि एक लाख से कम कीमत पर बिकने के बावजूद ये वाहन निर्माता को उचित मुनाफा भी देंगे।

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आधुनिक युग में निर्माण उद्योग एजीवी, थ्री डी प्रि¨टग और रोबोटिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे पहले नहीं देखा गया है। इस बदलाव के लिए निर्माण उद्योग भारी निवेश भी कर रहे हैं। इस उद्योग में सबसे अधिक मानव संसाधन का उपयोग सामग्रियों के रख-रखाव व परिचालन के लिए होता है। साथ ही मनुष्य की भागीदारी की वजह से इसमें अचानक बड़े परिवर्तन हो जाते हैं। इसलिए सामग्रियों के उद्योग परिसर के अंदर परिवहन के लिए एक मानक ऑटोमेटेड गाइडेड वाहन का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी कीमत करीब 15 से 20 लाख रुपये होती है। इस कार्य के लिए मनुष्य की जरूरत नहीं रह जाती है। ऐसे में ऑटोमेटेड सिस्टम के कई लाभ हैं। जैसे कि परिवेश की स्थितियों के बारे में रीयल टाइम फीडबैक के आधार पर नियमित निर्णय लेना व परिस्थिति के अनुकूल नेविगेशन में बदलाव करना आसान होता है, लेकिन इस बदलाव को पूर्ण और असरदार बनाने के लिए एक बेहतर भविष्य के सफर में छोटे और मझोले उद्यमों को भी साथ लेकर बढ़ना होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आइआइटी रुड़की और टीएमएस ने आगे बढ़कर इस रुकावट को दूर करने और कम कीमत के एजीवी के डिजाइन और विकास का प्रयास किया है। दोनों का लक्ष्य है कि एक लाख रुपये प्रति वाहन से कम कीमत पर बड़े पैमाने पर इन्हें तैयार किया जाए। जिससे छोटे और मझोले उद्योग भी ऑटोमेशन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएं। सहमति करार पर हुए हस्ताक्षर के मौके पर आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि इस सहमति करार में संस्थान को प्रभावी तकनीक के साथ कीमत नीचे लाने की जिम्मेदारी दी गई है। टीएमएस से जुड़कर हम बेहद खुश हैं। संस्थान के लिए यह एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। टीएमएस के संस्थापक नितिन कुमार ने बताया कि आइआइटी रुड़की के साथ हुए इस करार के जरिए विशेषज्ञों के ज्ञान का आदान-प्रदान, शोध विकास, प्रशिक्षण और एक-दूसरे के हित में औद्योगिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी विशेषता समेत संबंधित क्षेत्रों में उपलब्ध सुविधाओं, डाटा, ज्ञान और कौशल का आदान-प्रदान होगा। उल्लेखनीय है कि टीएमएस आइआइटी रुड़की, एनआइटी राउरकेला और आइआइएम कोलकाता के पूर्व विद्यार्थियों का प्रधान स्टार्ट अप है।


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