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उर्दू को मजहब के दायरे से निकालें बाहर

सुबह इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड एजुकेशन एसोसिएशन की ओर से रविवार को ढंडेरा फ

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 08:51 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 08:51 PM (IST)
उर्दू को मजहब के दायरे से निकालें बाहर
उर्दू को मजहब के दायरे से निकालें बाहर

जागरण संवाददाता, रुड़की: उर्दू जुबान सीखने में नई टेक्नोलॉजी की भूमिका विषय पर आयोजित सेमीनार में वक्ताओं ने नई तकनीक को अपनाकर उर्दू को मजबूत बनाने पर जोर दिया। साथ ही बच्चों को उर्दू की तालीम देने का आह्वान किया।

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सुबह इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड एजुकेशन एसोसिएशन की ओर से रविवार को ढंडेरा फाटक स्थित एक गार्डन में आयोजित सेमीनार के मुख्य अतिथि मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन रहे। उन्होंने कहा कि समय के साथ कदम बढ़ाकर और टेक्नोलॉजी को अपनाकर ही उर्दू समेत अन्य भाषाओं को मजबूत बनाया जाता सकता है। कहा कि जब जंग-ए-आजादी की नींव रखी गई थी उस वक्त उर्दू के माध्यम से ही एक-दूसरे तक बात पहुंचाई जाती थी। उन्होंने उर्दू को मजहब के दायरे से बाहर निकालने का आह्वान किया। वहीं उन्होंने उर्दू, पंजाबी, गढ़वाली, कुमांउनी आदि बोली व भाषाओं की एकेडमी बनाने पर भी जोर दिया।

डा. अरशद मसूद ने कहा कि उर्दू जुबान दुनिया की सबसे मीठी जुबान है। इस मौके पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के सदस्य राव मुनफैत अली, उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सीमा जावेद, निशांत अमीम, महताब खान, कारी शमीद अहमद, डॉ. फुरकान अहमद, फसीहुजमा फारुकी, डॉ. चांदनी अब्बासी, डॉ. शमीम बी, डॉ. असलम कासमी, डॉ. तनवीर चिश्ती, मौहम्मद आजम, रिफाकत अली, दिलशाद आदि मौजूद रहे। कोर्ट, कचहरी से रहने की सलाह

मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोग थाना, कचहरी, अस्पताल आदि में अधिक दिखाई देते हैं। उन्होंने समाज के लोगों को कोर्ट व कचहरी से दूर रहने की सलाह दी। साथ ही बच्चों को उर्दू की तालीम देने पर बल दिया।


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