-अंकों से प्यारे हो तुम
संवाद सहयोगी, रुड़की: ऊंचा मुकाम हासिल करने के लिए अंकों की नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होत
संवाद सहयोगी, रुड़की: ऊंचा मुकाम हासिल करने के लिए अंकों की नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में कम अंक आने के बाद भी ऐसे लोगों की लंबी फेहरिस्त है। जिन्होंने अपनी मेहनत और आत्म विश्वास के जरिये ऊंचा मुकाम हासिल किया है।
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष एवं 10 साल तक हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे सिविल लाइंस निवासी न्यायमूर्ति ब्रह्म ¨सह वर्मा का कहना है कि किसी भी छात्र की योग्यता उसके रिजल्ट कार्ड पर अंकित अंकों से नहीं आंकी जा सकती है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में यदि किसी छात्र के अंक सामान्य आते हैं तो इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि छात्र अन्य छात्रों की अपेक्षा कमजोर है या फिर वह भविष्य में कुछ नहीं कर पाएगा। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चें के अंक चाहे जैसे भी आएं। लेकिन उनका मनोबल और आत्मविश्वास कभी कम न होने दें। कड़ी मेहनत और लगन से सफलता की हर ऊंचाई को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल और इंटर में उनके सामान्य अंक आए थे। इसके अलावा गांव में ही पढ़े लिखे। संसाधनों का भी अभाव रहा। लेकिन उनके अभिभावकों की वजह से उनमें हमेशा कुछ कर दिखाने का आत्मविश्वास रहा। इसी की बदौलत लॉ किया और 10 साल तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे। शहर में चार्टड एकाउंटेंट के रुप में अपनी अलग पहचान रखने वाले सिविल लाइंस निवासी हेमंत अरोड़ा का कहना है कि कक्षा में बच्चे प्रदर्शन कैसा भी क्यों न हो, लेकिन हर बच्चा काबलियत रखता है। उसे अंकों से तो कतई भी नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में उनके अंक सामान्य थे। लेकिन उनमें हमेशा कुछ कर दिखाने की इच्छा रही। राजकीय इंटर कालेज रुड़की से सामान्य अंकों में उन्होंने इंटर पास की। इसके बाद डीएवी देहरादून से स्तानक की पढ़ाई की। एकाउंट के प्रति उनका हमेशा रुझान रहा। जिसके चलते उन्होंने अपनी इसे ही अपना कॅरियर चुनते हुए सीए की परीक्षा पास की। वह अपने कॅरियर को लेकर बेहद संतुष्ट हैं। इससे उन्हें अच्छा नाम भी मिला।