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संत भोले बाबा की हत्या के दोषी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

मानव सेवा संस्थान के स्वामी डॉ. प्रेम आनंद सरस्वती उर्फ भोले बाबा की हत्या के दोषी को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने उम्र कैद और सात हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 10:41 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 10:41 AM (IST)
संत भोले बाबा की हत्या के दोषी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

हरिद्वार, जेएनएन। नगर कोतवाली क्षेत्र में 16 वर्ष पूर्व मानव सेवा संस्थान के स्वामी डॉ. प्रेम आनंद सरस्वती उर्फ भोले बाबा की हत्या के दोषी को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने उम्र कैद और सात हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायालय ने अन्य आरोपित आशीष पांडे एवं आशु के खिलाफ विवेचना पूर्ण किए जाने अथवा न किए जाने या अंतिम रिपोर्ट लगाने के संबंध में न्यायालय को अवगत न कराने वाले विवेचक पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश पुलिस को दिए हैं। 

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शासकीय अधिवक्ता राजकुमार ने बताया कि सात सितंबर 2003 को मानव सेवा संस्थान भूपतवाला में रहने वाले सुनील तिवारी ने नगर कोतवाली में दी तहरीर में आरोपित चालक गोपाल शर्मा उर्फ मनोज यादव पर आश्रम के संत डॉ. प्रेमानंद सरस्वती उर्फ भोले बाबा का छह अगस्त को अपहरण करने का आरोप लगाया था। 

तभी से आरोपित आश्रम व घर भागरथीनगर से परिवार समेत गायब था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को दी तहरीर में कहा था कि आरोपित चालक से भोले बाबा के बारे में पूछा तो नासिक जाने की बात कही थी।  

कोतवाली नगर पुलिस ने आरोपी चालक पर अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। आरोपित को एक दूसरे मामले में बीकानेर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जहां आरोपित को स्थानीय पुलिस ने करीब सवा तीन साल के बाद अदालत में पेश किया था। 

पुलिस पूछताछ में आरोपी चालक ने अपने दो साथियों आशीष पांडेय व आशु के साथ मिलकर डॉ. प्रेमानन्द सरस्वती की गला दबाकर हत्या कर शव को ऋषिकेश के पास गंगा में फेंकना बताया था। मुकदमे में वादी पक्ष ने 11 गवाह पेश किए। 

अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपित चालक गोपाल शर्मा उर्फ मनोज यादव पुत्र बहम ङ्क्षसह निवासी जिप्सी कॉम्प्लेक्स, प्रियदर्शिनी चौराहा फीगंज उज्जैन मध्यप्रदेश को हत्या व साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा और सात हजार रुपये  जुर्माने की सजा सुनाई।  

न्यायालय ने इसी मामले में अन्य आरोपित आशीष पांडे एवं आशु के खिलाफ विवेचना पूर्ण किए जाने अथवा न किए जाने या अंतिम रिपोर्ट लगाने के संबंध में न्यायालय को अवगत न कराने वाले विवेचक पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश उच्च पुलिस अधिकारियों को दिए हैं।

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