लॉकडाउन से बिखर गए भविष्य के सपने
परिवार का पालन-पोषण करने और भविष्य संजोने आई ललिता के सपनों को लॉकडाउन ने तोड़ दिया। कंपनी से वेतन नहीं मिला।
संवाद सूत्र, भगवानपुर: परिवार का पालन-पोषण करने और भविष्य संजोने आई ललिता के सपनों को लॉकडाउन ने तोड़ दिया। कंपनी से वेतन नहीं मिला। अब घर वापसी की तैयारी है, लेकिन घर पर भी कोई काम नहीं है। बार-बार कभी वह छोटे बच्चों को देखती है तो कभी खुद की बेबसी पर आंसू बहा रही है।
प्रयागराज निवासी अनिल कुमार अपने परिवार के साथ पांच साल से भगवानपुर के औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहे थे। लॉकडाउन हुआ तो कंपनी की ओर से मार्च का वेतन देकर आगे वेतन देने से मना कर दिया गया। छह माह पहले उसकी बहन ललिता अपने बीमार पति को छोड़कर भाई के पास आ गई। उसके एक साल का बेटा और तीन साल की बेटी है। भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक पैकेजिग कंपनी में नौकरी लग गई। इसके साथ ही उसने भविष्य के सपने बुनने शुरू कर दिए। बच्चों का पालन-पोषण करने के साथ ही बीमार पति को भी पैसे भेज रही थी, लेकिन कोरोना के चलते सब कुछ बंद हो गया। कंपनी से वेतन नहीं मिला। मकान मालिक ने किराया माफ कर दिया। प्रशासन की ओर से उनको राशन भी मुहैया कराया गया, लेकिन उनको काम नहीं मिल रहा है। अब वह बच्चों को साथ लेकर वापस प्रयागराज जा रही हैं। लेकिन, उसे इस बात की चिता है कि वहां पर काम ना होने के चलते कैसे बच्चों का पालन-पोषण करेगी।