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सुविधाओं को तरसता लालढांग का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

लालढांग का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। 80 हजार की आबादी की सेहत को दुरुस्त करने का जिम्मा संभाले स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का टोटा है। यहां सिर्फ खांसी जुकाम और बुखार का इलाज ही हो पाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 08:19 PM (IST)
सुविधाओं को तरसता लालढांग का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
सुविधाओं को तरसता लालढांग का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

राहुल शर्मा, लालढांग: लालढांग का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। 80 हजार की आबादी की सेहत को दुरुस्त करने का जिम्मा संभाले स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का टोटा है। यहां सिर्फ खांसी, जुकाम और बुखार का इलाज ही हो पाता है। अन्य गंभीर बीमारी का इलाज कराने के लिए मरीज एवं तीमारदारों को 40 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय हरिद्वार का रुख करने को मजबूर होना पड़ता है। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं न होना जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

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कांगड़ी से लेकर चिड़ियापुर और लालढांग के करीब 50 किलोमीटर के क्षेत्रफल में लालढांग में स्थित एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। यहां की ग्रामीण क्षेत्र, वन गुर्जर समाज की महिलाओं एवं अन्य मरीजों के इलाज का जिम्मा इसी एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र के कंधों पर है, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में जरूरी सुविधाओं का टोटा होने से स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है। क्षेत्रवासियसों का कहना है कि यहां सिर्फ खांसी, जुकाम और बुखार या अन्य छोटी बीमारी का इलाज ही संभव है। अन्य किसी भी बीमारी का इलाज तो दूर प्राथमिक इलाज और उसकी दवा भी नहीं मिलती। दुर्घटना की स्थिति में मरीजों को सीधे करीब 40 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय हरिद्वार का रुख करना पड़ता है। ऐसे में तमाम मौकों पर इलाज न मिलने पर मरीज को जान से भी हाथ धोना पड़ता है। स्थानीय निवासी पंकज चमोली, महेंद्रनाथ, तेजपाल सैनी, विमल कुमार, दीपक शर्मा, दीपक अमोली, अभिषेक, मुनेश कुमार, अर्जुन सैनी और सोनू कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में खून की जांच भी कभी-कभार ही हो पाती है। इसके अलावा एक्स-रे आदि कराने के लिए भी हरिद्वार ही जाने को मजबूर होना पड़ता है। पिछले दिनों यहां कोरोना संक्रमण को देखते हुए एक ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था, अगर इसके बदले यहां एक्स-रे एवं एक लैब का निर्माण कराया जाता तो स्थानीय जनता को उसका काफी हद तक लाभ मिल पाता। साथ ही कहा कि आए दिन अस्पताल में से डॉक्टर नदारद रहते हैं। ऐसा कोई दिन नहीं है कि जबकि डॉक्टर अस्पताल में देरी से न पहुंचते हों। स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर एवं कर्मचारियों का ड्रेस कोड नहीं होने से मरीजों एवं तीमारदारों को यह भी पता नहीं लग पाता है कि यह मरीज है या कि डाक्टर। ग्रामीणों का कहना है कि करीब दो वर्ष पहले तत्कालीन जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी ने ड्रेस कोड के लिए अस्पताल के उच्चस्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया था, बावजूद इसके उस पर अमल नहीं हो पाया है। जनप्रतिनिधियों की क्षेत्र से बेरुखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो बार से विधायक और वर्तमान में धामी सरकार में कद्दावर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का गृह क्षेत्र होने के बावजूद अस्पताल में सुविधाओं का टोटा एवं उच्चीकरण न होना, जनप्रतिनिधियों को भी सवालों के घेरे में खड़ा करता है। वर्तमान में एक डाक्टर सहित वार्डब्वाय का पद रिक्त चल रहा है। वहीं मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी शंभूनाथ झा ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लालढांग के उच्चीकरण के लिए प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। उम्मीद है जल्द ही प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।


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