Move to Jagran APP

Haridwar Kumbh Mela 2021: युवाओं में नजर आया कुंभ का क्रेज, जानिए उन्होंने क्या कहा

Haridwar Kumbh Mela 2021 गंगा तट पर सोमवार को आस्था का एक नया रूप देखने को मिला। सोमवती अमावस्या स्नान के लिए उमड़ा युवाओं का सैलाब परंपरा में बदलाव का अहसास करा गया। युवाओं ने स्वयं पुण्य कमाने के साथ ही दादी-नानी बूढ़े माता-पिता को भी गंगा में स्नान कराया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 04:06 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 04:06 PM (IST)
युवाओं में नजर आया कुंभ का क्रेज, जानिए उन्होंने क्या कहा।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 गंगा तट पर सोमवार को आस्था का एक नया रूप देखने को मिला। सोमवती अमावस्या स्नान के लिए उमड़ा युवाओं का सैलाब परंपरा में बदलाव का अहसास करा गया। उनके माथे पर लगा चंदन टीका, हाथ में रुद्राक्ष की माला व फूलों की टोकरी यह बताने के लिए काफी थी कि आस्था के प्रवाह में युवा वर्ग भी तेजी से रम रहा है। आधुनिकता की आंधी में श्रद्धा की यह बयार एक सुखद अहसास करा गई। युवाओं ने स्वयं पुण्य कमाने के साथ ही दादी-नानी, बूढ़े माता-पिता को भी गंगा में स्नान कराया।

loksabha election banner

कुंभ के पहले शाही स्नान सोमवती अमावस्या पर यूं तो आस्था के कई रूप देखने को मिले। दुधमुहें नाती को लेकर गाजीपुर से आईं 93 वर्ष की रामरती आस्था व विश्वास के साथ स्नान करने धर्मनगरी पहुंची, वहीं दूसरी ओर युवा पीढ़ी का हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर उमड़ा सैलाब बता गया कि सनातनी आस्था अब संन्यास और वैराग्य आश्रम की ही चीज नहीं। यही कारण रहा कि सोमवती अमावस्या स्नान को जब गंगा की ह्दयस्थली हरकी पैड़ी पर युवाओं का हुजूम उमड़ा तो सहसा यकीन नहीं हुआ। गंगा तट पर जहां देखो वहीं युवाओं की टोली पुण्य की डुबकी लगाते नजर आ रही थी। 

आधुनिकता के इस दौर में युवाओं में पुण्य कमाने और धर्म के प्रति ऐसी लालसा सुखद अहसास करा गई। खासकर स्नान के बाद उनका ध्यान लगाना, हवन सहित मंदिर में भगवान शिव का रूद्राभिषेक करना, दान-पुण्य करना बता गया कि देश के युवाओं पर आधुनिकता का रंग तो चढ़ा है, पर उससे भी कहीं अधिक गहरा हुआ है अपनी संस्कृति, परंपरा व धर्म से लगाव।

चाहे वह दिल्ली के आइटी पेशेवर अवधेश हों या मुंबई की फैशन डिजाइनर अंकिता। बिहार माधेपुरा की नूतन तिवारी हो या फिर रोपड़ के अनिल विश्वास। सबके सब आस्था के रंग में रंगे नजर आए। ना सिर्फ शहरी बल्कि प्रदेश के कई जिलों से युवाओं का हुजूम गंगा स्नान को पहुंचा था। मुंबई मीरा रोड के रहने वाले रोहन बताते हैं कि वह हरिद्वार कुंभ 2010 में माता-पिता संग पहली बार हरिद्वार आए थे। उसके बाद वह हर साल जब भी मौका मिलता गंगा स्नान को हरिद्वार आ जाते थे।

पिछले वर्ष कोरोना काल के कारण नहीं आ सके। इसलिए इस वर्ष वर्क फ्रॉम होम का लाभ उठा मार्च में ही अपनी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लेकर ऋषिकेश आ गए थे। वहां उन्होंने मुनि की रेती क्षेत्र में अपनी ही कंपनी के बंगलुरु निवासी दोस्तों संग तीन महीनों के लिए फ्लैट किराए पर ले लिया और काम के साथ आध्यात्म भी पूरा कर रहे हैं। सोमवती अमावस्या पर स्नान करने दो दिन पहले ही सभी हरिद्वार आ गए थे। यहां वे बैरागी कैंप क्षेत्र में अखाड़ों के साथ रह रहे हैं, वहीं खा रहे हैं और धर्म-अध्यात्म की गंगा में गोते लगा रहे हैं। 

रोहन के साथ बंगलुरु निवासी कविता चौधरी कहती हैं कि पुण्य प्राप्ति केवल बड़ों की आस्था का सवाल नहीं है, बल्कि इसमें युवाओं की भागीदारी भी होनी चाहिए। आगरा राजामंडी निवासी आराधना शुक्ला कहती हैं कि गंगा में डुबकी लगाने के बाद जिस आनंद की अनुभूति हुई, उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकती। बताया कि वह अपनी 102 वर्षीय दादी शांति देवी की जिद पर परिवार के साथ कोविड-19 के सभी नियमों का पालन कर सोमवार सुबह ही यहां पहुंची थी और स्नान के बाद वापसी के क्रम में हैं। युवाओं का हुजूम इस बात का अहसास करा रहा था कि आस्था के द्वार हरिद्वार आने वाली भीड़ अब कभी कम नहीं होगी।

यह भी पढ़ें- Haridwar Kumbh 2021: पुलिस ने दूर की भाषा की अड़चन, श्रद्धालुओं की मदद कर रहे दुभाषिये

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.