अब एक क्लिक में खुलेगा संपत्ति का ब्योरा
नगर निगम रुड़की शहर की प्रत्येक संपत्ति की जीआइएस (ज्योग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम) मैपिग कराएगा जिसे संपत्ति कर से जोड़ा जाना है।
संवाद सहयोगी, रुड़की: नगर निगम रुड़की शहर की प्रत्येक संपत्ति की जीआइएस (ज्योग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम) मैपिग कराएगा, जिसे संपत्ति कर से जोड़ा जाना है। इससे संपत्ति कर का पूरा ब्योरा एक क्लिक में खुल जाएगा। वहीं नए भवन और संपत्ति आदि की भी जानकारी निगम को रहेगी।
संपत्ति कर वसूली में निगम को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। निगम तमाम कोशिशों के बावजूद संपत्ति कर वसूली में पिछड़ जाता है। इसका सीधा असर निगम की आय पर पड़ रहा है। वहीं स्टाफ की कमी होने के चलते नए भवन की जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा बड़े भवन को छोटा दिखाया जाता है, जिससे संपत्ति कर की चोरी होती है। इसके अलावा व्यावसायिक उपयोग को आवासीय बता दिया जाता है। इसका पता लगाने के लिए निगम ने संपत्ति को ऑनलाइन कर दिया है। इस नगर सेवा से भी जोड़ा जा चुका है। इससे बकाया संपत्ति कर वसूलने में काफी मदद मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसे अपग्रेड करने के लिए अब संपत्ति की जीआइएस मैपिग कराई जा रही है। सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट ने बताया कि निदेशालय से इस संबंध में निर्देश प्राप्त हो गए हैं। संपत्ति कर जीआइएस मैपिग से संबंद्ध करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
ऐसे होगी जीआइएस मैपिग
निगम के प्रत्येक वार्ड की सैटेलाइट मैपिंग की जाएगी। इसके बाद प्रत्येक संपत्ति को चिह्नित किया जाएगा। सर्वे करने के बाद उसकी पूरी जानकारी जुटाई जाएगी। इस डाटा को सैटेलाइट मैप के साथ अटैच किया जाएगा। इसमें संपत्ति की फोटो रहेगी। बिना अनुमति भवन में बदलाव करने या संपत्ति कर न देने की स्थिति में जीआइएस अलर्ट कर देगा।
क्या है जीआइएस मैपिग
ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) में सैटेलाइट के माध्यम से जमीनी आकृतियों, भूभागों आदि को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाता है। किसी स्थान पर जाए बिना नक्शा कंप्यूटर पर देखकर बना सकते हैं। इससे बनने वाले मानचित्र हाईटेक होते हैं। यह भौगोलिक परिवर्तनों को पकड़ लेता है।
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जीआइएस मैपिग के यह होंगे फायदे
- संपत्ति कर का पता करने व वसूलने की जानकारी मिलेगी।
- किसी भी कार्य के लिए रोड कटिग, नई पाइप लाइन बिछाने, मरम्मत में सहायता मिलेगी।
- शहर में होने वाले अतिक्रमण पर नजर रखी जा सकेगी।
- अवैध निर्माण होने पर अलर्ट मिल जाएगा।
- विकास कार्यों की प्रगति के बारे में जानकारी मिलती रहेगी।