मंगलौर में निर्दलीय दिलशाद निर्वाचित
संवाद सहयोगी, मंगलौर: मंगलौर नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर एक बार फिर निर्दलीय ने बाजी मारी ह
संवाद सहयोगी, मंगलौर: मंगलौर नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर एक बार फिर निर्दलीय ने बाजी मारी है। पूर्व विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी के समर्थक दिलशाद ने जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस के चौधरी इस्लाम चुनाव हार गए है। भाजपा प्रत्याशी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा है।
मंगलौर नगर पालिका चुनाव में इस बार दिलचस्प मुकाबला हुआ। बसपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे दिलशाद शुरूआती रुझान में तो कांग्रेस प्रत्याशी से पिछड़ गए लेकिन इसके बाद उन्होंने बढ़त बना ली। बढ़त दो हजार को भी पार कर गई। पांचवें राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी पिछड़ गए। दिलशाद 12378 वोटों के साथ चुनाव जीत गए। उनके चुनाव जीतने के साथ उनके समर्थकों ने जबरदस्त जश्न मनाया। बीएसएम कालेज के बाहर जमकर नारेबाजी की। आतिशबाजी की गई। कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी इस्लाम को यहां पर 10830 वोट मिले हैं। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. संजीव जैन 2941 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा प्रत्याशी जमीर हसन अंसारी 1097 वोट लेकर चौथे नंबर पर रहे। जबकि भाजपा के लिए यहां पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने वोट मांगे थे। यह मंगलौर की जनता की जीत है। मंगलौर कस्बे के विकास के लिए सभी को साथ लेकर चलेंगे। पिछले पांच साल से जो काम अटके हुए थे, उन्हें पूरा करेंगे जलभराव एवं साफ-सफाई की व्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।
दिलशाद, नवनिर्वाचित अध्यक्ष
चुनाव में हार-जीत होती रहती है। मंगलौर की जनता ने उन्हें जो सम्मान दिया है। उसका वह दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। जनता का जो भी काम उनसे बन पड़ेगा वह करेंगे। विकास के काम में पूरा सहयोग किया जाएगा।
चौधरी इस्लाम, कांग्रेस प्रत्याशी
प्रत्याशी,पार्टी,वोट
दिलशाद,निर्दलीय,12378
चौधरी इस्लाम,कांग्रेस,10830
डॉ. संजीव जैन,निर्दलीय,2941
पूर्व विधायक ने पालिका में लिया विधायक से बदला
मंगलौर नगर पालिका के चुनाव में पूर्व विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी का कद काफी बढ़ गया है। पार्टी से बगावत कर उन्होंने अपने समर्थक को चुनाव लड़ाया था। इसकी कीमत उनको चुकानी भी पड़ी। बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन से चुनाव हार गए थे। पालिका चुनाव में काजी निजामुद्दीन ने अपने विश्वासपात्र चौधरी इस्लाम को कांग्रेस से टिकट दिलाया, लेकिन जीत नहीं दिला सके। पूर्व विधायक सरवत करीम अंसारी ने विधानसभा चुनाव में मिली हार का बदला ले लिया।