कलयुग में श्रीमद्भागवत ही ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम स्रोत
हरिद्वार: श्रीमद्भागवत भव सागर की वैतरणी है। इसका श्रवण करने से मनुष्य को सन्मार्ग पर चलने की
हरिद्वार: श्रीमद् भागवत भव सागर की वैतरणी है। इसका श्रवण करने से मनुष्य को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। उक्त उद्गार स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि कलयुग में श्रीमद् भागवत ही ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम स्रोत है। इसके द्वारा व्यक्ति के चरित्र का निर्माण होता है। कथा व्यास राष्ट्रीय संत स्वामी उमाशंकर देव महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में जब तक व्यक्ति भगवत भक्ति के दिव्य भाव से संस्कारित व क्रियाशील नहीं होगा, तब तक राष्ट्र व समाज में कोई परिवर्तन नहीं आएगा, इसलिए अपने परिवार व समाज में भक्ति और भारतीय संस्कार जागृत करने का माध्यम श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण है। इस मौके पर कथा संयोजक कुलदीप गुप्ता, यजमान गुरुमुख ¨सह नामधारी और रणदीप पुंडीर, अनुपम तायल, कुलदीप ¨सह, सतेंद्र बजरंगी, प्रदीप पाल, संजय धीमान, स्वामी सच्चिदानंद, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, सत्यवान सत्यम, वेद श्रीवास्तव व विक्रम पुंडीर आदि मौजूद रहे। (संस)