हरिद्वार में करंट लगने से हाथी की मौत, बिशनपुर क्षेत्र का है मामला
बिशनपुर में करंट लगने से हाथी की मौत हो गई। उसका शन गन्ने के खेत में मिला। बताया जा रहा है कि पथरी क्षेत्र में गन्ने की फसल खाने के लिए हाथी अक्सर रात में खेतों का रुख करते हैं। मौजूदा सीजन में किसानों की फसल हाथी बर्बाद क चुके।
हरिद्वार, जेएनएन। पथरी क्षेत्र में खेत में गन्ना खाने पहुंचे एक हाथी की करंट लगने से मौत हो गई। दरअसल, हाथियों का झुंड रात के समय बिशनपुर के एक खेत में गन्ना खाने पहुंचा था। उसी दौरान खेत में लगे ट्रांसफार्मर से हाथी टकरा गया और करंट लगने से उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद हाथी का शव दफनाते हुए अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पथरी क्षेत्र में अक्सर रात के समय हाथियों का झुंड गन्ना खाने आ जाता है। सोमवार रात बिशनपुर में गंगा पार जंगल से पांच हाथियों का एक झुंड किसानों की गन्ने की फसल को खाने के लिए पहुंचा था। बताया जा रहा है कि झुंड में शामिल 40 वर्षीय हाथी एक भाजपा नेता के फार्म हाउस में लगे विद्युत ट्रांसफार्मर से टकरा गया। हाथी के विद्युत ट्रांसफार्मर में टकराने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। आधी रात हाथी के ट्रांसफार्मर से टकराने पर फाल्ट हो गया। जिस पर फार्म हाउस में काम करने वाला नौकर मौके पर पहुंचा। उसने हाथी को मृत देख जानकारी मालिक को दी।
सूचना मिलने पर रात में ही पथरी थाने की पुलिस व वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। सुबह डीएफओ नीरज कुमार शर्मा भी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। डीएफओ नीरज कुमार शर्मा ने बताया कि विद्युत ट्रांसफार्मर से हुई हाथी की मौत के मामले की जांच उप प्रभागीय वन अधिकारी कुशाल सिंह रावत को दी गई है। उन्हें जल्द ही घटना की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में 20 साल में करंट से 41 हाथियों क मौत हो चुकी है।
डेढ़ महीने पहले गया था रेडियो कॉलर
हाथी को डेढ़ महीना पहले ही लालढांग क्षेत्र के दासोवाली क्षेत्र में रेडियो कॉलर लगाया गया था। जिससे उस पर तभी से नजर रखी जा रही थी। डीएफओ नीरज कुमार शर्मा ने बताया कि लोकेशन मिलने पर टीम रात में ही पहुंच गई थी, लेकिन उसको व झुंड में शामिल अन्य साथियों को वापस खदेड़ने से पहले ही यह हादसा हो गया। बताया कि जिस जगह यह हादसा हुआ है। वहां अक्सर हाथी आते रहते हैं, क्योंकि वह क्षेत्र जंगलनुमा होने के साथ ही वन क्षेत्र से सटा हुआ है।
यह भी पढ़ें: हाथियों का काल बनी जंगलों से गुजर रही विद्युत लाइनें, जानिए 20 साल में हुई कितनी मौतें