नगर निगम की सियासत में विवादों का बसेरा
सर्दी के मौसम में नगर निगम का सियासी तापमान काफी बढ़ा हुआ है। निगम के गठन को दो साल हो गए हैं। लेकिन निगम के बोर्ड में आपसी तालमेल नहीं बन पाया है। जबकि वर्तमान में निगम के महापौर गौरव और 40 में से अधिकांश पार्षद भाजपा से ही हैं। लेकिन पिछले डेढ़ साल से विवाद ही विवाद नजर आ रहे हैं।
संवाद सहयोगी, रुड़की : सर्दी के मौसम में नगर निगम का सियासी तापमान काफी बढ़ा हुआ है। निगम के गठन को दो साल हो गए हैं। लेकिन, निगम के बोर्ड में आपसी तालमेल नहीं बन पाया है। जबकि वर्तमान में निगम के महापौर गौरव और 40 में से अधिकांश पार्षद भाजपा से ही हैं। लेकिन, पिछले डेढ़ साल से विवाद ही विवाद नजर आ रहे हैं।
अब तक नगर निगम की दो बोर्ड बैठक हो चुकी हैं। जिसमें महापौर व पार्षदों के बीच नोंकझोंक में मर्यादा की सीमाएं भी पार होती नजर आई हैं। महापौर व पार्षदों के बीच सामंजस्य बैठाने को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता भी प्रयास कर चुके हैं। राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल व भाजपा के वरिष्ठ नेता भी समझौता कराने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन, विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। विवादों की स्थिति यह हो चुकी है कि महापौर बोर्ड बैठक बुलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं। जबकि पार्षद बोर्ड बैठक न होने से आंदोलन पर उतारू हैं। महापौर व पार्षदों के बीच चल रहा विवाद कोतवाली तक में पहुंच चुका है। जनप्रतिनिधियों के बीच चल रहे इन विवादों की आंच निगम के अधिकारियों तक भी पहुंच रही है।
निगम में चल रहे सियासी संग्राम में अब आम आदमी पार्टी व अन्य राजनीतिक पार्टियां भी सक्रिय हो गई हैं। आम आदमी पार्टी ने तो पूरे निगम परिसर में ही गोमूत्र छिड़कर शुद्धिकरण करने का कार्यक्रम तक कर डाला। कांग्रेस के नेता भी नगर निगम में चल रही कलह पर पत्रकार वार्ता कर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व महापौर यशपाल राणा ने तो यहां तक कहा कि निगम में भाजपा विपक्ष की भूमिका खुद ही निभा रही है। वहीं अन्य कांग्रेसी नेताओं ने निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाल होने का आरोप लगाए हैं।