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अनियमितताओं पर फार्म कंपनी को किया सील

संवाद सहयोगी, रुड़की: एक दवा कंपनी में खुले में ही इंजेक्शनों पर लेब¨लग की जा रही थी। अनिय

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 03:01 AM (IST)
अनियमितताओं पर फार्म कंपनी को किया सील

संवाद सहयोगी, रुड़की: एक दवा कंपनी में खुले में ही इंजेक्शनों पर लेब¨लग की जा रही थी। अनियमितताओं के चलते प्रशासनिक टीम ने कंपनी को सील कर दिया। वहीं औषधि विभाग ने इंजेक्शनों के सैंपल लिए हैं। साथ ही कंपनी के लाइसेंस को निरस्त करने की रिपोर्ट ड्रग कंट्रोलर को भेज दी है। प्रशासनिक टीम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर कंपनी को सील करने के लिए पहुंची थी।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पिछले दिनों कंपनियों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में रुड़की की चार दवा कंपनियां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मानकों के अनुसार नहीं पाई गई थी। डीएम दीपक रावत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर इन कंपनियों को सील करने के निर्देश दिए। गुरुवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल के निर्देश पर एएसडीएम र¨वद्र ¨सह बिष्ट गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के माधोपुर स्थित रियान फार्मा कंपनी को सील करने पहुंचे। टीम जब कंपनी के भीतर पहुंची तो वहां इंजेक्शनों की लेब¨लग का कार्य हो रहा था। यह कार्य कंपनी परिसर में खुले में चल रहा था। साथ ही इंजेक्शनों से पुराने लेबल उतारकर उन पर नये लेबल लगाए जा रहे थे। इसको देखते हुए एएसडीएम र¨वद्र कुमार बिष्ट ने ड्रग इंस्पेक्टर नीरज कुमार को बुलवाया। एएसडीएम र¨वद्र कुमार बिष्ट के निर्देश पर ड्रग इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने चार सैंपल लिए। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि कंपनी का लाइसेंस निरस्त करने के लिए ड्रग कंट्रोलर को रिपोर्ट भेजी जा रही है। एएसडीएम र¨वद्र कुमार बिष्ट ने बताया कि कंपनी को सील करा दिया गया है। बताया कि खुले स्थान पर इंजेक्शन की लेब¨लग नहीं हो सकती है। इंजेक्शन ठंडे और साफ स्थान पर रखे जाने चाहिए। इसके लिए निश्चित तापमान होता है। खुले में इंजेक्शन रखने पर उनके खराब होने की आशंका रहती है। यह कंपनी की लापरवाही है।

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तो कंपनी को बैंक ने भी किया हुआ था सील

रुड़की: एएसडीएम र¨वद्र कुमार बिष्ट ने बताया कि जिस कंपनी को वह सील करने पहुंचे थे। जानकारी जुटाने पर पता चला कि उस कंपनी को एक बैंक ने ऋण न लौटाने पर सील किया हुआ है। लेकिन इसके बाद भी कंपनी में काम किया जा रहा था। बैंक को इस संबंध को जानकारी दी गई है। बैंक अधिकारियों से पता चल सकेगा कि सील होने के बाद भी फैक्ट्री में कैसे काम चल रहा था।

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एएसडीएम व ड्रग इंस्पेक्टर के बीच हुई नोंकझोंक

रुड़की: दवा कंपनी में इंजेक्शन की खुले में लेब¨लग होने और पानी में इंजेक्शन डालकर उनके पुराने लेबल उतारे जाने को लेकर एएसडीएम और ड्रग इंस्पेक्टर के बीच नोंकझोंक हो गई। एएसडीएम र¨वद्र कुमार का कहना था कि खुले में इंजेक्शन रखे जाने से यह खराब हो जाएंगे। सूर्य की किरणें सीधी इंजेक्शन पर पड़ रही है। ऐसे में इंजेक्शन कैसे ठीक रह सकते हैं। वहीं लेब¨लग उतारकर दूसरी लेब¨लग क्यों की जा रही है। इससे इंजेक्शनों के एक्सपाइरी होने की आशंका है। जबकि ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि इतना अधिक तापमान नहीं है कि जिससे इंजेक्शन खराब हो जाएं। इस बात को लेकर उनमें नोकझोंक हुई। हालांकि बाद में एएसडीएम के निर्देश पर ड्रग इंस्पेक्टर ने इंजेक्शन के सैंपल लिये।


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