श्मशान घाट के बाद भी खुले में हो रहा दाह संस्कार
लाखों रुपये के बजट से निर्माणाधीन श्मशान घाट के बाद भी ग्रामीण गंगा किनारे खुले में दाह संस्कार कर रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना से श्यामपुर गांव में गंगा तट पर श्मशान घाट सहित स्नान घाट का निर्माण भी कराया गया है। हालांकि कुछ असामाजिक तत्वों ने वहां के दरवाजे और कुर्सियों को तोड़ दिया है।
संवाद सूत्र, लालढांग: लाखों रुपये के बजट से निर्माणाधीन श्मशान घाट के बाद भी ग्रामीण गंगा किनारे खुले में दाह संस्कार कर रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना से श्यामपुर गांव में गंगा तट पर श्मशान घाट सहित स्नान घाट का निर्माण भी कराया गया है। हालांकि कुछ असामाजिक तत्वों ने वहां के दरवाजे और कुर्सियों को तोड़ दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाए रखने के लिए गंगा किनारे दाह संस्कार पर रोक लगाने के लिए गंगा पर श्मशान घाट सहित स्नान घाट बनवाने का फैसला लिया था। इसके तहत चंडी घाट स्थित श्मशान घाट को नए कलेवर में बनाया गया है। नमामि गंगे परियोजना से वहां संस्कार के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। वहीं इसी तर्ज पर श्यामपुर गांव में गंगा तट पर एक घाट और स्नान घाट का निर्माण कराया गया था, जो करीब दो वर्ष पूर्व पूर्ण हो चुका है। बावजूद इसके ग्रामीण खुले में दाह संस्कार कर रहे हैं। बता दें कि खुले में दाह संस्कार करने पर सरकार की ओर से जुर्माने का प्रावधान है। बावजूद इसके गंगा की निर्मलता पर किसी का ध्यान नहीं है। दाह संस्कार कराने आने वाले कफन भी गंगा में ही बहा दे रहे हैं। असामाजिक तत्वों ने घाट को शराब पीने एवं जुआ खेलने का अड्डा बनाया हुआ है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घाट पर बने क्लॉक रूम एवं चेंजिग रूम के दरवाजे को तोड़ दिया गया है। साथ ही कई कुर्सियां भी क्षतिग्रस्त कर दी गई हैं। ग्राम विकास अधिकारी रमेश पिगल ने बताया कि जल्दी ही घाट पर कर्मचारियों को तैनात कर दिया जाएगा। जो गंगा तट पर दाह संस्कार करने वालों को रोकेंगे। जल्दी ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।