ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने 194 दिन बाद दिया तप को विराम
194 दिन से मातृसदन आश्रम में तपस्यारत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने अपने तप को विराम दे दिया है।
हरिद्वार, जेएनएन। गंगा रक्षा के लिए 194 दिन से मातृसदन आश्रम में तपस्यारत (अनशन) ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने अपने तप को विराम दे दिया है। तप के दौरान वह नींबू-पानी और शहर ले रहे थे। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की वित्त निदेशक रोजी अग्रवाल के लिखित आश्वासन पर उन्होंने यह निर्णय लिया। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तय समय में आश्वासन के अनुरुप कार्रवाई नहीं हुई तो वे फिर तप करेंगे।
गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक और गंगा पर चल रही चार जलविद्युत परियोजना को बंद कराने संबंधी पूर्व प्रोफेसर ब्रह्मलीन संत ज्ञानस्वरूप सानंद की मांगों को पूरा कराने के लिए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने 24 अक्तूबर से तप शुरू कर किया था। मांगें पूरे न होने पर उन्होंने जल त्याग का भी एलान कर दिया था। पिछले माह 25 अप्रैल को एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने मातृसदन आश्रम में पहुंचे और मांगों पर विचार का आश्वासन दिया।
इसके बाद एनएमसीजी ने रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। शनिवार को एनएमसीजी के वित्त निदेशक रोजी अग्रवाल मातृसदन पहुंची और अन्य मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आश्वासन दिया। पत्र में गंगा रक्षा के लिए कानून का सख्ती से पालन के साथ ही खनन व स्टोन क्रशर के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही गई है। इसी के साथ आत्मबोधानंद के साथ फलहार ले रहे ब्रह्मचारी पुण्यानंद ने भी अपना तप को विराम दे दिया।
गंगा पर बन रही परियोजनाओं को बंद करने का आश्वासन
मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बताया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की ओर से मातृसदन को सौंपे पत्र में गंगा और सहायक नदियों पर निर्माणाधीन फाटा-ब्योंगगाड, सिंगोली-भटवाड़ी, तपोवन-विष्णुगाड और विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजनाओं को पूर्ण रूप से बंद करने का आश्वासन दिया है।
प्रशासन पर लगाया जबरन उठाने की कोशिश का आरोप
एनएमसीजी के वित्त निदेशक रोजी अग्रवाल के मातृसदन पहुंचने से पहले एसडीएम कुसुम चौहान के पुलिस बल के साथ पहुंचने से हंगामा हो गया। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया कि प्रशासन आत्मबोधानंद को जबरन उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे नहीं पता था कि वित्त निदेशक रोजी अग्रवाल भी यहां हैं। इसीलिए ऐन वक्त पर प्रशासन ने निर्णय बदल दिया।
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