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सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण हो मन: बालकृष्ण

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: मनोविज्ञान विभाग, पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ स्थित दिश्

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Apr 2018 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 29 Apr 2018 05:58 PM (IST)
सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण हो मन: बालकृष्ण

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: मनोविज्ञान विभाग, पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ स्थित दिशा भवन सभागार में 'संज्ञानात्मक अभ्यास चिकित्सा' कोगनेटिव ड्रिल थेरेपी विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का रविवार को समापन हुआ।

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कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और चिकित्सालय आगरा के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. राकेश जैन ने मनोविज्ञान विषय के छात्रा-छात्राओं को सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान से अवगत कराया। डॉ. जैन ने कहा कि आज भागदौड़ भरी दिनचर्या और तनाव के कारण मनोरोग के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रतिभा के विकास में असफलता का डर सबसे बड़ी बाधा है। मन में नकारात्मक भाव और अवसाद इसका मूल कारण है। श्री जैन ने कहा कि इस थेरेपी में केवल मनोविज्ञानिक तरीकों से मस्तिष्क के विभिन्न केंद्रों को संदेश देकर भय को दूर भगाया जाता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक विचारों के अभ्यास से असंगत भय, फोबिया को दूर किया जा सकता है। मनोरोगों की चिकित्सा में यह पद्धति बहुत कारगर साबित हो रही है।

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने मनोविज्ञान कार्यशाला में कहा कि मन जीवन का परिणाम है। मन को सदैव सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण होना चाहिए। मन में आयुर्वेद, योग, मनोविज्ञान, दर्शन आदि विद्याएं निहित हैं। मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत विशाल है। जीवन में सुख-दुख साथ-साथ चलते हैं। संसार का कोई भी व्यक्ति इनसे अछूता नहीं रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भी मन को स्थिर रखना चाहिए। यदि यह स्थिर नहीं है तो प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्म से इसे स्थिर करने का प्रयास करना चाहिए। यही जीवन का सार है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं का मन स्वच्छ कर संसार की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

कार्यशाला का संचालन मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली गौड़ और सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिषेक भारद्वाज एवं श्रीराम अग्रवाल के मार्गदर्शन में संपादित किया गया। कार्यशाला में प्रतिकुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, कुलसचिव डॉ. दिनकर, पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन की निदेशक डॉ. शरली टेल्लस, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अधिकारी डॉ. बंसल, परीक्षा निरीक्षक डॉ. गोविंद मिश्रा, डॉ. नरेंद्र ¨सह, डॉ. विपिन द्विवेदी आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।


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