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एंटी रैबीज को हर दिन लगती है लंबी लाइन

क्षेत्र में डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:14 AM (IST)
एंटी रैबीज को हर दिन लगती है लंबी लाइन
एंटी रैबीज को हर दिन लगती है लंबी लाइन

संवाद सहयोगी, रुड़की: क्षेत्र में डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। शहर से देहात तक प्रतिदिन कई क्षेत्रवासी डॉग बाइट के शिकार होते हैं। सिविल अस्पताल रुड़की की बात करें तो प्रतिदिन यहां पर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने को लेकर मरीजों की लंबी लाइन लगती है।

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शहर और देहात में शायद ही कोई ऐसा गली-मोहल्ला हो। जहां पर आवारा कुत्तों के झुंड न घूम रहे हों। कई बार यह आवारा कुत्ते राह चलते व्यक्तियों पर झपटकर उनको काट लेते हैं। सिविल अस्पताल रुड़की में प्रतिदिन शहर और देहात से औसतन 40 मरीज केवल ऐसे आते हैं जो डॉग बाइट के शिकार होते हैं। इन मरीजों को चिकित्सक एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाते हैं। ताकि उनके शरीर में रेबीज न फैल सके। सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कंसल का कहना है कि अस्पताल में डॉग बाइट केस काफी अधिक आते हैं। अस्पताल का एक बड़ा बजट एंटी रैबीज इंजेक्शन पर खर्च होता है।

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डॉग बाइट को लेकर न बरतें लापरवाही

रुड़की: डॉग बाइट को लेकर कई मरीज लापरवाही बरतते हैं। कुत्ते काटने के तुरंत बाद चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 24 घंटे के भीतर एंटी रेबीज इंजेक्शन लग जाना चाहिए। चिकित्सकों का कहना है कि कई बार मरीज डॉग बाइट के एक से दो दिन बाद अस्पताल में आता है। ऐसी स्थिति में रेबीज फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। डॉग बाइट वाले मरीज को तीन से चार एंटी रेबीज इंजेक्शन लगते हैं। एक निश्चित अंतराल पर यह इंजेक्शन लगते हैं। लेकिन, इस अंतराल का पालन नहीं करता है और कई बार मरीज काफी समय बाद आता है। अस्पताल के डॉ. नितिश कुमार ने बताया कि रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या फिर किसी अन्य जानवर के काटने से भी हो सकता है। इसलिए यदि इनके दांत का शरीर पर हल्का निशान भी आ जाता है तो व्यक्ति के शरीर में वायरस प्रवेश कर सकता है। यदि यह जानवर पालतू हैं और वह किसी के जख्म को चाट भी लेता है, तब भी वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे मामलों में लापरवाही कतई न बरते।

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दो साल में हुई तीन मौत

रुड़की: कुत्ते काटने के बाद एंटी रेबीज इंजेक्शन समय से न लगवाने के चलते दो साल में रुड़की क्षेत्र में तीन मौत हो चुकी है। इनमें झबरेड़ा क्षेत्र के एक गांव के बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था। जिसके कुछ समय बाद उसमें रेबीज फैल गया था। इसी तरह से लंढौरा निवासी एक किशोरी की मौत रेबीज फैलने से हो गई थी। इसके अलावा भगवानपुर क्षेत्र के सिकरोढ़ा गांव में आम के बाग की रखवाली के दौरान एक किशोर पर कुत्ते ने हमला कर दिया। रेबीज फैलने से किशोर की मौत हो गई थी।

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40 लाख से बनेगा एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर

आवारा कुत्तों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम रुड़की की ओर से एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनवाया जा रहा है। इसके लिए टेंडर भी हो चुका है। सालियर में स्थित नगर निगम की भूमि पर यह सेंटर बनेगा। नगर निगम की नगर आयुक्त नूपुर वर्मा ने बताया कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए निगम के पास पिजरा और गाड़ी पहले से ही है। पांच कर्मचारियों को डॉग कैप्चर का प्रशिक्षण भी दिलाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि एबीसी सेंटर बनने के बाद आवारा कुत्तों को पकड़कर लाया जाएगा। जिससे क्षेत्र वासियों को आवारा कुत्तों से निजात मिलेगी।


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