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शिक्षा पद्धति में आमूलचूल बदलाव जरूरी: अमित शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने हमारी शिक्षा प्रणाली को तोड़कर हमारे मन पर चोट पहुंचाई और भारत की शिक्षा पद्धति में बदलाव कर उसे क्लर्क बनाने की पद्धति बना दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 08:21 AM (IST)
शिक्षा पद्धति में आमूलचूल बदलाव जरूरी: अमित शाह
शिक्षा पद्धति में आमूलचूल बदलाव जरूरी: अमित शाह

हरिद्वार, [जेएनएन]: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने वर्तमान शिक्षा पद्धति में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता जताई है। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा पद्धति देश की संस्कृति के अनुकूल नहीं है तो विकास के कोई मायने नहीं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले चार साल में देश की संस्कृति को विश्व में एक अलग पहचान दिलाई है। यह देश को विश्वगुरु बनाने में उनका सार्थक प्रयास है। आज दुनिया तमाम बड़े और महत्वपूर्ण मामलों में भारत की ओर देखती है और उसके रुख का इंतजार करती है।

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गुरुवार को शाह ने पंतजलि योगपीठ के आचार्यकुलम के नवीन परिसर का वैदिक मंत्रोचारण, यज्ञ और हवन के साथ उद्घाटन किया। इसके बाद पतंजलि फेज-दो में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को नष्ट-भ्रष्ट कर हमारे मर्म पर चोट की। हमें एकजुट होकर भारतीय शिक्षा पद्धति को उसका खोया गौरव दिलाना होगा। उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए देश के भीतर नए शिक्षा बोर्ड की स्थापना की मांग को भी अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि आज विश्व में भारत का सम्मान और स्वीकृति तेजी से बढ़ी है। आचार्यकुलम की स्थापना पर योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को शुभकामनाएं दी। इस मौके पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, योगगुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद, आचार्य प्रद्युमन, स्वामी गोविंददेव गिरि, श्रीमंहत रविंद्र पुरी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, आदि मौजूद थे।

शिक्षा क्रांति लाना है उद्देश्य: बाबा रामदेव

कार्यक्रम में योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि देश में योग-आयुर्वेद की क्रांति लाने के बाद उन्होंने स्वदेशी का बीड़ा उठाया था, आज इसकी अलख जग चुकी है। उन्होंने कहा कि अब उनका उद्देश्य देश में भारतीय शिक्षा पद्धति पर आधारित शिक्षा क्रांति लाने का है, जिसकी शुरुआत आचार्यकुलम की स्थापना के साथ हो चुकी है। जिस वक्त देश में गुरुकुल भारतीय शिक्षा पद्धति शिक्षा की रीढ़ थी, उस समय देश में साक्षरता दर सौ प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब नौकरी करने वाला युवा नहीं है, शिक्षा का मतलब हर भावना, ज्ञान से परिपूर्ण मानव-इंसान का निर्माण करना है। हमारा उद्देश्य तक्षशिला और नालंदा के गौरवशाली अतीत पर इतराना नहीं, बल्कि उसे वर्तमान का हिस्सा बनाकर विश्व में भारतीय शिक्षा की पताका फहराना है।  आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आचार्यकुलम स्वदेशी शिक्षा का बेहतर विकल्प है। आचार्यकुलम में विद्यार्थियों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। विद्यार्थियों को भाषा के स्तर पर हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में पारंगत किया जा रहा है।

भारत का हो रहा है निर्माण: अवधेशानंद गिरि 

जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि भले ही लोग बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर करोड़ों-अरबों का व्यवसायिक साम्राज्य खड़ा करने का आरोप लगाते है पर यह सब देश के विकास के लिए है। स्वदेशी को आधार बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि योगपीठ ने ही दिया। यहां वस्तुओं का नहीं भारत का निर्माण हो रहा है। आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि पतंजलि के शिक्षा प्रकल्पों में जीवन में परिवर्तन लाने वाली शिक्षा दी जा रही है। यहां के वातावरण को देखकर लगता है कि भारत शीघ्र ही विश्वगुरु के पद पर आसीन होगा। साम्राज्यवाद भारत की संस्कृति नहीं रही, अपितु भारत दुनिया का मार्गदर्शक रहा है।

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