अस्पताल में नहीं मिले एंटी रैबीज इंजेक्शन, लौटे 45 मरीज
सिविल अस्पताल रुड़की में सोमवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो गए। इससे करीब 45 मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा। जबकि छह मरीजों ने निजी मेडिकल स्टोर से एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाए हैं।
संवाद सहयोगी, रुड़की: सिविल अस्पताल रुड़की में सोमवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो गए। इससे करीब 45 मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा। जबकि छह मरीजों ने निजी मेडिकल स्टोर से एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाए हैं।
सिविल अस्पताल रुड़की में सोमवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन न लगने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इंजेक्शन न लगने के कारण 45 मरीजों को निराश लौटना पड़ा। हालांकि कुछ मरीजों ने मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन लगाकर लगवाए। सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कंसल ने बताया कि शनिवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो गए थे। इसके चलते सोमवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं लग पाए हैं। एंटी रैबीज इंजेक्शन की एक हजार वायल की मांग की गई है। जल्द ही, एंटी रैबीज इंजेक्शन के आने की उम्मीद है। मेडिकल स्टोर पर मिलता है 350 रुपये इंजेक्शन
रुड़की: एंटी रैबीज इंजेक्शन मेडिकल स्टोर पर साढ़े तीन सौ रुपये का मिलता है। सिविल अस्पताल रुड़की में यह इंजेक्शन निश्शुल्क लगाए जाते हैं। अस्पताल में इंजेक्शन खत्म होने से सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे मरीजों को उठानी पड़ी, जो इस इंजेक्शन को बाजार से नहीं खरीद सकते हैं।
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रोजाना आते हैं 40 से अधिक मरीज
रुड़की: सिविल अस्पताल रुड़की में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगते हैं। रुड़की के अलावा भगवानपुर, कलियर, झबरेड़ा, लंढौरा, नारसन, मंगलौर, लक्सर से भी बड़ी संख्या में मरीज इंजेक्शन लगवाने के लिए सिविल अस्पताल रुड़की पहुंचते हैं। अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 40 से अधिक मरीज पहुंचते हैं।
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24 घंटे के भीतर लगना चाहिए एंटी रैबीज इंजेक्शन
रुड़की: सिविल अस्पताल के डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले तो 24 घंटे के भीतर एंटी रैबीज इंजेक्शन अनिवार्य रूप से लगवा लेना चाहिए। ऐसा न करने पर शरीर में रैबीज फैलने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि कुत्ता शरीर के जिस भाग पर काट ले। उसे बहते पानी में अच्छे से धो लेना चाहिए।
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लाखों रुपये खर्च फिर भी नहीं मिली आवारा कुत्तों से निजात
रुड़की: नगर निगम रुड़की ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के डॉग कैप्चर गाड़ी खरीदी गई थी। साथ ही, उसके लिए एक पिजरा भी बनवाया गया था। निगम के पांच कर्मचारियों को कुत्ते पकड़ने का प्रशिक्षण भी दिया गया था। लेकिन, लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी कुत्ता पकड़ने का अभियान शुरू नहीं हो पाया है। अधिकारियों का कहना है कि एनीमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर के बनने के बाद यह अभियान चलाया जाएगा। सालियर में नगर निगम एबीसी सेंटर बनवा रहा है। इसके निर्माण का कार्य भी चल रहा है।