हरिद्वार: शराब कांड में तीन और मौत, दो हायर सेंटर रेफर, मरने वालों की संख्या बढ़कर पहुंची 10
पथरी क्षेत्र के फूलगढ़ में शराब कांड में रविवार को तीन और ग्रामीणों की मौत हो गई। इसके साथ ही मरने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव में घूम-घूमकर ग्रामीणों की तलाश कर रही है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: पथरी क्षेत्र के फूलगढ़ में शराब कांड में रविवार को तीन और ग्रामीणों की मौत हो गई। इसके साथ ही मरने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। रविवार सुबह फूलगढ़ निवासी रूपचंद और सुखराम की तबीयत बिगड़ने पर स्वजन उन्हें अस्पताल ले गए, जहां रूपचंद ने दम तोड़ दिया। वहीं सुखराम को हायर सेंटर रेफर कर दिया। इसके अलावा पिछले चार दिन से जिला अस्पताल में भर्ती फूलगढ़ निवासी आशाराम ने भी रविवार देर शाम दम तोड़ दिया।
बीमार होने वालों में हो सकते हैं अन्य ग्रामीण भी
साथ ही कनखल के रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती फूलगढ़ निवासी अजय की हालत बिगड़ने पर उसे हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। लगातार ग्रामीणों की मौत के बाद अंदेशा जताया जा रहा है कि कच्ची शराब पीकर बीमार होने वालों में अन्य ग्रामीण भी हो सकते हैं। ऐसे में पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव में घूम-घूमकर ग्रामीणों की तलाश कर रही है।
जल्दबाजी में अपने ही दावों में उलझता रहा प्रशासन
शराब कांड को लेकर जल्दबाजी में किए गए प्रशासन के दावों पर रविवार को तीन ग्रामीणों की मौत ने सवाल खड़े कर दिए। दरअसल, पहले दिन से प्रशासन का फोकस शराब कांड की सफाई पर रहा। शनिवार को प्रशासन ने लिखित तौर पर यह कहा था कि आस-पास के गांव में कोई भी ग्रामीण शराब के कारण बीमार नहीं है।
पोस्टमार्टम से पहले ही कर डाला दावा
फूलगढ़ और शिवगढ़ में ग्रामीणों की मौत को लेकर शनिवार की सुबह से ही प्रशासन के अधिकारी लीपापोती की भूमिका में रहे। प्रशासन ने पोस्टमार्टम होने से पहले ही बिना जांच पड़ताल के यह दावा कर डाला कि मामला जहरीली शराब से जुड़ा नहीं है। यहां तक कि मारपीट को एक ग्रामीण की मौत का कारण बता दिया गया, जबकि पोस्टमार्टम होने पर मौत का कारण स्पष्ट होने के कारण प्रशासन को खुद अपने दावे से पलटना पड़ा। प्रशासन का सुबह का दावा सही था तो पोस्टमार्टम में मौत का कारण मारपीट क्यों नहीं आया। वहीं, जिन ग्रामीणों की मौत गुरुवार और शुक्रवार को हुई है, उन तीनों का अंतिम संस्कार बिना पोस्टमार्टम कर दिया गया। जब पोस्टमार्टम ही नहीं हुआ तो प्रशासन इतने दावे से कैसे कह सकता है कि मौत जहरीली शराब से नहीं हुई है। वह भी तब, जबकि उनके स्वजन और ग्रामीण साफ तौर पर यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि चुनाव की शराब पीने के बाद ग्रामीणों की तबीयत बिगड़नी शुरू हुई और एक के बाद एक ग्रामीणों की मौत हुई।
मौत का आंकड़ा बढ़ने पर बीमार होने की बात भी सामने आई
पोस्टमार्टम होने के बाद पूरा मामला विसरा जांच रिपोर्ट पर डाल दिया गया। रविवार को मौत का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही ग्रामीणों के बीमार होने की बात भी सामने आ गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि प्रशासन दावे करने में इतनी जल्दबाजी क्यों कर रहा है।