अब ऊर्जा निगमों में जांच पर सख्ती, एमडी होंगे जवाबदेह
अब ऊर्जा के तीनों निगमों में जांच पर सख्ती कर दी गर्इ है। जिससे जांच के मामलों में अब कोताही नहीं बरती जा सकेगी।
By Edited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 03:18 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। ऊर्जा के तीनों निगमों में अब भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से अमल होगा। ऊर्जा निगमों में चल रहे जांच के मामलों में अब कोताही नहीं हो सकेगी। सरकार ने तमाम प्रकरणों में जांच पूरी कर दस कार्य दिवसों में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। जांच रिपोर्ट तय समय पर मुहैया कराने का जिम्मा प्रबंध निदेशकों को सौंपा गया है। जांच रिपोर्ट नहीं मिलने पर प्रबंध निदेशकों को सरकार का कोप भाजन बनना पड़ सकता है।
ऊर्जा विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को लेकर मुख्यमंत्री के सख्त रुख को देखते हुए शासन ने ऊर्जा के तीनों निगमों में अनियमितता के मामलों की जांच में हीलाहवाली पर तेवर कड़े कर लिए हैं। दरअसल, शासन स्तर से तीनों निगमों में अनियमितता के मामले सामने आने पर जांच के निर्देश दिए गए थे।
ऊर्जा सचिव राधिका झा ने तीनों निगमों ऊर्जा निगम, पारेषण निगम और जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशकों को ऐसे प्रकरणों की जांच कर समयबद्ध रिपोर्ट देने की ताकीद की थी। ऊर्जा सचिव ने उक्त आदेशों पर अमल नहीं होने पर खेद जताया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में न तो जांच ही पूरी की गई और न ही दंडात्मक कार्रवाई की गई।
उन्होंने तीनों प्रबंध निदेशकों को अनियमितता संबंधी विभागीय जांच के प्रकरणों पर जांच पूरी कर दस दिन में स्पष्ट निष्कर्ष व कार्यवाही समेत आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं होने पर विभागीय जांच में शिथिलता के लिए प्रबंध निदेशकों को दोषी माना जाएगा। विभिन्न निगमों में एक दर्जन से अधिक प्रकरणों की जांच विचाराधीन है।
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